गया: बिहार के गया जिले के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र मोहनपुर प्रखंड के सुदूर गांव रेडिवार की रहने वाली शबनम परवीन आज दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रही है. साल 2015 में इतिहास से स्नातक करने के बाद उसमें कुछ करने की लालसा थी. ऐसे में घर और गांव की दहलीज लांघ कर उसने जीविका से संपर्क किया, जिसके बाद पीएनबी के ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से नव उद्यमियों को सफल उद्यमी बनाने के लिए मिलने वाले प्रशिक्षण को उसने पूरा किया.
मोमबत्ती बनाने का प्रशिक्षण लिया
इस दौरान उसने मोमबत्ती बनाने का प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण के बाद मोमबत्ती का व्यवसाय को शुरू करने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे. ऐसे में उसने जीविका के स्वयं सहायता समूह से 40 हजार रुपये लोन लिए और फिर मोमबत्ती के व्यवसाय से जुड़ गई. उसके द्वारा डिजाइनर मोमबत्ती बनाने का कार्य शुरू किया. इस बदौलत दिव्यांग होते हुए भी शबनम आज आत्मनिर्भर है. आज वह घर बैठे मोमबत्ती के व्यवसाय से हजारों रुपये महीने कमा रही है.
इतना हीं नहीं शबनम को देख गांव की अन्य महिलाएं भी इससे जुड़ने लगीं, जिन्हें शबनम प्रशिक्षण देती है. आज वो मोहनपुर प्रखण्ड में नूरा जीविका दिव्यांग स्वयं सहायता समूह की अध्यक्षा बनकर विभिन्न स्थानों पर जाकर महिलाओं को स्वरोजगार और मोमबत्ती व्यवसाय का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना रही है.
पुरस्कार से किया गया था सम्मानित
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जयंती के अवसर पर शबनम को हुनरबाज अवार्ड से सम्मानित किया गया था. बता दें कि पूरे देश के विभिन्न ग्रामीण स्वरोजगार एवं प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना व्यवसाय करने वाली नौ दिव्यांग अभ्यर्थियों को ये अवार्ड दिया गया था.
दिवाली को लेकर मिले हैं कई ऑर्डर
शबनम परवीन बताती है कि ज्यादातर मोमबत्ती का ऑर्डर पटना, बंगाल और मधुबनी से आता है. ऑर्डर मिलने के बाद वो मोमबत्ती बनाना शुरू कर देती है. उसने कहा कि सालों भर मोमबत्ती की खपत नहीं होती है. अन्य दिनों में सिर्फ बंगाल से डिजाइनर मोमबत्ती का ऑर्डर आता है, जो शादी, जन्मदिन या किसी अन्य समारोह में उपयोग होता है. दीपावली में ज्यादा ऑर्डर आने के कारण पिछले 4 से 5 महीने से वो मोमबत्ती तैयार करने में जुटी है. ऑर्डर के अनुसार मोमबत्ती तैयार कर उन्हें भेज दिया जाता है. इसके अलावे गया ,बाराचट्टी स्थानीय बाजारों में भी मोमबत्ती का ऑर्डर आता है.
शबनम परवीन के पति मो. शमीम बताते हैं कि अपनी पत्नी को आत्मनिर्भर होते देख वह भी इस कार्य में सहयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि वो कच्चा माल को लाने से लेकर स्थानीय बाजार के दुकानों में ऑर्डर लेने भी जाते हैं. ऑर्डर के अनुसार उन्हें उनकी मोमबत्ती पहुंचाने में मदद करते हैं.
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