सासाराम: चंदन पहाड़ी पर करीब 23 सौ साल पूर्व सम्राट अशोक ने लघु शिलालेख स्थापित किया था लेकिन आज यहां कुछ और ही है. इस शिलालेख को चूने से पोतवा कर यहां मजार बना दी गई है. कुछ लोगों ने गेट में ताला भी लगा दिया है. साथ ही हरे रंग की चादर से ढक दिया गया है. जानकार बताते हैं कि कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया था. देश और दुनिया में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करने लगे तो इसी दौरान सारनाथ की ओर जाने के क्रम में सम्राट अशोक इसी पहाड़ी के पास रुके थे.


इतिहासकार श्यामसुंदर तिवारी बताते हैं कि अपने धर्म प्रचार के 256 दिन पूरे होने पर यह शिलालेख चंदन पहाड़ी पर लिखा गया था. इस तरह के लघु शिलालेख सासाराम के अलावा उत्तर प्रदेश और कैमूर जिले में भी है जिसमें बौद्ध धर्म के प्रचार के संबंध में शिलालेख अंकित किया गया है. सवाल उठता है कि भारतीय पुरातत्व को संरक्षित करने वाली आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा वर्ष 1917 में ही संरक्षित इस शिलालेख के अस्तित्व को क्यों नहीं बचाया जा रहा है?



क्या कहते हैं इतिहासकार?


रोहतास और कैमूर के इलाके के पहाड़ियों पर लगातार शोध कार्य करने वाले इतिहासकार डॉ. श्यामसुंदर तिवारी कहते हैं कि इस शिलालेख में सम्राट अशोक ने अपनी यात्रा से संबंधित जानकारी लिखी है. धर्म प्रचार के 256 दिन पूरे होने पर यह लेख लिखा गया था. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने वर्ष 1917 में ब्रिटिश राज में ही इसे संरक्षित किया गया था लेकिन फिर कालांतर में इसकी देखरेख नहीं हुई.



क्या कहते हैं अधिकारी?


सासाराम के अनुमंडल पदाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि उन्हें भी इसके बारे  में सूचना मिली है. उन्होंने कहा कि वो यहां दो साल से हैं. एक बार पत्राचार हुआ है. एएसआई (ASI) द्वारा कभी हम लोगों से कोऑर्डिनेशन नहीं मांगा गया कि वहां शिलालेख है. जिलाधिकारी ने भी इसे गंभीरता से लिया है. त्योहार खत्म होने के बाद इस पर पहल की जाएगी.



चंद-तन पीर मजार कमेटी का पक्ष जानें


इस संबंध में चंद-तन पीर मजार कमेटी के चेयरमैन जीएम अंसारी ने बताया कि जब जब चुनाव का समय आता है इस मुद्दे को कुछ लोग उठा देते हैं. इसके अलावा जब कोई नया जिलाधिकारी आता है तो कुछ लोग इस मुद्दे को लेकर सामने आ जाते हैं. पहले भी कई जिलाधिकारी के समक्ष वे खुद इस मुद्दे की जानकारी दे चुके हैं. जीएम अंसारी ने फोन पर बताया कि वह अभी हज यात्रा पर जा रहे हैं. ऐसे में वहां कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है. उनका दावा है कि वर्ष 1932 के कागजात उनके पास हैं जिसके आधार पर वहां इबादत की जा रही है. उनका कहना है कि शिलालेख को लेकर कहीं कोई बात नहीं है.


सम्राट चौधरी करेंगे प्रदर्शन


इसको लेकर बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि सासाराम की चंदन पहाड़ी पर स्थित सम्राट अशोक के शिलालेख पर कब्जा कर मजार बना लिया गया है. स्थानीय नेताओं के साथ वो प्रदर्शन करेंगे और सरकार से मांग करेंगे कि जल्द से जल्द शिलालेखों को मुक्त करवाया जाए नहीं तो वो अनिश्चितकालीन प्रदर्शन करेंगे.


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