मोतिहारी: बिहार के सरकारी अस्पताल, पीएचसी, सीएचसी समेत अन्य स्वास्थ्य केंद्र अपने लापरवाह रवैये की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. कभी मरीजों के इलाज में लापरवाही करने की वजह से तो कभी अपने बदहाल व्यवस्था की वजह से सरकारी अस्पताल हमेशा सवालों के घेरे में रहते हैं. इसी क्रम में बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला सामने आया है. मामला जिले के कोटवा प्रखंड स्थित पीएचसी से जुड़ा हुआ है. पीएचसी के पास स्थित झाड़ियों में लाखों की जीवनरक्षक दवाइयां संदिग्ध अवस्था में फेंकी हुई पाईं गईं हैं.  


वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल


पीएचसी के पास झाड़ियों में फेंकी गई दवाइयों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे देख लोग तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं. वहीं, वीडियो सामने आने के बाद स्वास्थ्य महकमे में खलबली मच गई है. फेंके गए दवाओं में महंगे इंजेक्शन, आयरन फॉलिक एसिड की गोलियां, प्रेगनेंसी टेस्ट किट, दमा की दवाइयां, एंटीबायोटिक गोलियां, गर्भधारण रोकने सहित कई महत्वपूर्ण और जीवन रक्षक दवाइयां शामिल हैं. फेंके गए दवाओं में कई दवा ऐसे हैं जिन पर साल 2022 और 23 में एक्सपायर होने की तिथि अंकित है.


पीएचसी प्रभारी ने लगाया आरोप


बता दें कि जिले में दवा फेंके जाने की ये पहली घटना नहीं है. जिले के तुरकौलिया पीएचसी में कुछ महीने पूर्व ही शौचालय की टंकी में लाखों की दवा फेंकी पाई गई थी. लेकिन मामले की जांच नहीं कि गई. अब कोटवा पीएचसी में लाखों की दवा झाड़ी में फेकने का मामला सामने आया है. हालांकि, इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कोटवा पीएचसी प्रभारी ने कहा कि अस्पताल व्यवस्था को बदनाम करने के लिए ये साजिश रची गई है. इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है. 


स्थानीय सूत्रों की मानें तो पीएचसी में लोगों का फर्जी डाटा एंट्री कर इलाज किया जाता है और उनको कागज में ही दवा निर्गत कर दिया जाता है. इस कारण जब दवाएं अस्पताल के भंडार में अतिरिक्त भंडारण हो जाती हैं, तो उसे दबाने के लिए यत्र-तत्र फ़ेंकवा दिया जाता है. हालांकि, दवा एक्सपायर होने की स्थिति में विभाग से निर्देश प्राप्त कर विनष्ट करना होता है. लेकिन फेंके गए दवाओं में कई दवा ऐसे हैं, जो अभी तक एक्सपायर भी नहीं हुए हैं. 


जांच के बाद होगी कार्रवाई


इस संबंध में कोटवा पीएचसी प्रभारी डॉ.शीतल नरूला ने बताया कि यह साजिश के तहत हमें बदनाम करने की कोशिश की गई है. व्यवस्था को दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है. पीएचसी में पूर्व से गड़बड़ी करने वालों की नहीं चल पा रही है. प्रखंड क्षेत्र के लोग इस षड्यंत्र से वाकिफ हैं. विभिन्न स्रोतों से लगातार धमकी दी जा रही है. इस संबंध में थाना को कार्रवाई के लिए आवेदन भी दिया गया था. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इसी कारण गलत करने वालों का मनोबल बढ़ता जा रहा. अस्पताल में गार्ड के रहने के बाद भी स्टोर से कैसे दवा झाड़ी में फेंकी गई है, ये जांच का विषय है. जांचोपरांत दोषी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी.


इधर, पूर्वी चम्पारण के सिविल सर्जन अंजनी कुमार ने जीवन रक्षक दवाइयों को फेंकने मामले में कहा कि त्रि सदस्यीय कमिटी का गठन कर जांच शुरू कर दी गई है. साथ ही कोटवा पीएचसी के चिकित्सा प्रभारी से जांच प्रतिवेदन की मांग की गई है. दोषियों पर जांचोपरांत करवाई की जाएगी.






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