Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kuamr) ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है. राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि आज हुई पार्टी के विधायकों, विधानसभा पार्षदों, सांसदों और विधायकों की बैठक हुई. इसमें सबकी इच्छा थी कि एनडीए (NDA) का साथ हम लोगों को छोड़ देना चाहिए. हमने इस इच्छा का सम्मान किया. इसके बाद मैंने मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया. बीजेपी (BJP) के साथ क्या दिक्कत थी, इस सवाल पर नीतीश कुमार ने कोई जवाब नहीं दिया और कहा कि इस पर भी बताएंगे.


जदयू और बीजेपी का रिश्ता


पिछले कई दिनों से बिहार में इस बात की चर्चा थी कि बिहार सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कई बार इस बात के संकेत मिले के राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैं. इसकी शुरूआत ईद की दावत से हुई थी. नीतीश कुमार आरजेडी की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए थे. मुहर्रम के दिन उन्होंने बीजेपी को अलविदा कह दिया. 


बीजेपी से किस बात की नाराजगी?


नीतीश कुमार ने आज इस्तीफा सौंपने के बाद भले ही यह न बताया हो कि बीजेपी के साथ उनको क्या दिक्कत हुई है. लेकिन बिहार के राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा 2020 में हुए विधानसभा चुनाव के समय से ही थी. जदयू के बहुत से नेताओं ने आरोप लगाया था कि बीजेपी चिराग पासवान की एलजेपी के साथ मिलकर  उनकी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. यह बात परिणामों में सच भी साबित हुई, जब जदयू 45 सीटों पर सीमट गई. चुनाव के दरौन जदयू के मन में आई खटास कभी मिठास में नहीं बदल पाई. यह एक बार और सतह पर आई थी, जब 16 सांसद होने के बाद भी जदयू नरेंद्र मोदी-2 सरकार में शामिल नहीं हुआ था. इसके बाद मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में दो सीटें देने का वादा करने के बाद भी जदयू को केवल एक सीट दी गई थी. इसके बाद तो दोनों दलों की दूरियां बढ़ती ही गईं. 


नरेंद्र मोदी कैबिनेट के विस्तार ने बढ़ाया विवाद?


जदयू के कोटे से केंद्रीय मंत्री बनाए गए आरसीपी सिंह का मंत्री पद का कार्यकाल जब खत्म हुआ और उनकी पार्टी ने जब उन्हें दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा तो वो बगावत के मूड में आ गए. बीजेपी ने उनके बगावत को हवा दी. इसके बाद जदयू नेताओं को फिर लगा कि बीजेपी अब आरसीपी के जरिए उसे कमजोर करने की कोशिश कर रही है. इसके बाद से ही तय हो गया था कि दोनों दलों का साथ बहुत ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है. यह बात आज 9 अगस्त को साबित भी हो गई. नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होते हुए अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है.


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