गयाः कोरोना की वजह इस बार गया में पितृपक्ष मेले का आयोजन नहीं हो सका. इसके बावजूद करीब अब तक पांच लाख तीर्थयात्रियों ने गया पहुंचकर पिंडदान व तर्पण किया. 16 दिनों तक चले पितृपक्ष के अंतिम दिन बुधवार को फल्गु नदी में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ पड़ा. अंतिम दिन लोगों की भीड़ देखने लायक थी. पिंडदान, तर्पण और अन्य कर्मकांडों के लिए लोग सुबह से ही पहुंचने लगे थे.
गौरतलब हो कि अश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन पितृपक्ष समाप्त होता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अमावस्या के दिन को पितृ विसर्जनी अमावस्या कहा गया है. इस दिन जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ अन्तःसलिला फल्गु नदी में पितरों के नाम पर तर्पण व पिंडदान आदि कर्मकांडों को करते हैं उसके पितृदेव उसके घर परिवार में खुशियां भर देते हैं.
तीर्थयात्रियों के साथ स्थानीय लोगों की भी भीड़
यही कारण है कि गया शहर के स्थानीय लोग भी फल्गु नदी में स्नान कर अपने पितरों को तर्पण करते हैं. यहां भगवान श्री राम ने भी अपने पिता राजा दशरथ को जलांजलि व पिंडदान किया था. पितृपक्ष के अंतिम दिन सुबह से फल्गु नदी, विष्णुपद मंदिर में लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो गई थी. अंतिम दिन तीर्थयात्रियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों की भीड़ भी देखने को मिली.
बता दें कि गया में हमेशा पिंडदान होता है लेकिन इस 16 दिनों के पितृपक्ष में पिंडदान व श्राद्धकर्म करने का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस पितृपक्ष अवधि में पितृ गया आकर अपने वंशजों का पिंडदान के लिए इंतेजार करते हैं. यही वजह है कि लाखों की संख्या में हिंदू सनातन धर्मावलंबी यहां आकर पिंडदान व कर्मकांडों को पूरा करते हैं.
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