पूर्णिया: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र जब भी पूर्णिया या आसपास के इलाके में आते थे, तब कांग्रेस का एक ऐसा योद्धा था, जिसके इंतेजार में कार्यक्रम तक को रोक दिया जाता था. जब तक वो मंच पर नहीं पहुंचते, कार्यक्रम शुरू नहीं होता था. इस शख्स का नाम था गंगा चौधरी, जिन्होंने बाद में कांग्रेस से नाता तोड़ कर पत्रकारिता जगत में अपना कदम रखा और कहलाए पत्रकारिता का पितामाह.
पत्रकारिता जगत में शोक की लहर
प्रमंडलीय पत्रकार संघ के अध्यक्ष गंगा चौधरी का 72 वर्ष के उम्र में निधन हो गया. दिवंगत गंगा बाबू के गुजरने से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी है. बीती रात उनके निधन की खबर आते ही पूर्णिया, आसपास के जिले के पत्रकार और उनके चाहने वाले उनके घर पहुंच कर उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन को पहुंचे.
बता दें कि दशक से भी लंबे पत्रकारिता अनुभव को अपने में समेटे गंगा बाबू का ब्रेन हेमरेज से निधन हुआ है. गंगा बाबू के बारे में कहा जाता है कि वे आजीवन सीमांचल और कोसी के पत्रकारों में ‘पत्रकारिता का पितामह’ बने रहे. बीती रात वो बाथरूम में गिर की गए थे, जिसके फौरन बाद उन्हें इलाज के लिए निजी अस्पताल ले जाया गया.
अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे लोग
हालांकि, अस्पताल ले जाने के दौरान ही उनकी मौत हो गई. निधन के बाद उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए उनके निजी आवास ले जाया गया है, जहां पत्रकारों, समाजसेवियों व नेताओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. गंगा बाबू के बारे में बताया जा रहा है कि पहले वो कांग्रेस के सक्रिय सदस्य थे, जिनकी ख्याति इस बात से थी कि पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र के कार्यक्रम में गंगा बाबू जब तक नहीं पहुंचते तब तक कार्यक्रम शुरू नहीं होता था.
पूर्णिया पहुंचने के बाद जगन्नाथ मिश्रा गंगा बाबू के घर ही पहुंचते थे. कांग्रेस ने उन्हें बतौर मीडिया सलाहकार बुलाया भी लेकिन गंगा बाबू ने पत्रकारिता को चुना और शुरुवात की पाटलिपुत्रा टाइम्स से. आज गंगा बाबू की अमिट पहचान पूर्णिया प्रमंडल ही नहीं बल्कि बिहार भर में है. गंगा बाबू इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जॉर्नलिस्ट के अध्यक्ष रहे हैं. उनका निधन पत्रकारिता जगत के लिए अपूर्णीय क्षति माना जा रहा है.
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