नालंदा: प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की चारदीवारी से सटे देहर तालाब चमरगद्दी टोले के पास तालाब में प्राचीन भग्नावशेष मिला है. मंगलवार को खुदाई हुई थी. बुधवार को पुरातत्व विभाग की टीम पहुंची. खुदाई में शिवलिंग सहित कई मूर्ति मिली है. मूर्ति मिलने की सूचना के बाद आसपास के ग्रामीणों पहुंच गए और शिवलिंग को अपने साथ लेकर चले गए. उसे स्थापित कर दिया और लोग बेलपत्र चढ़ाकर पूजा-अर्चना करने लगे.


लोगों का कहना है कि आसपास के तालाब की खुदाई में अब तक कई पुरातात्विक अवशेष मिल चुके हैं. इधर, सूचना मिलने पर नालंदा संग्रहालय के सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद शंकर शर्मा टीम के साथ मौके पर पहुंचे. खुदाई को रोकने के लिए कहा और विभाग को सूचना दी. बताया जा रहा है कि लघु सिंचाई विभाग द्वारा जल जीवन हरियाली योजना के तहत जेसीबी से तालाब की खुदाई हो रही थी. खुदाई होने से पहले पुरातत्व विभाग द्वारा विभाग के जेई को कई बार आदेश दिया गया था कि खुदाई नहीं करना है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.


यह भी पढे़ं- National Herald Case: सोनिया गांधी से पूछताछ को लेकर पटना में कांग्रेस का जमकर प्रदर्शन, कहा- हम झुकेंगे नहीं...


क्या कहता है पुरातत्व विभाग?


बीते बुधवार को पटना से पहुंचीं अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. गौतमी भट्टाचार्य ने खुदाई स्थल का निरीक्षण किया. कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा लघु सिंचाई विभाग को तीन बार नोटिस दिया गया था. इसके बाद भी कनीय अभियंता सतीश कुमार लापरवाह बने रहे. जानबूझकर धरोहर को नुकसान पहुंचाया है. संवेदक और कनीय अभियंता के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी. विश्व धरोहर में शामिल प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष के दो सौ मीटर के दायरे में प्रतिबंधित क्षेत्र होने के बावजूद इस तालाब की खुदाई की जा रही थी.


इस मामले में सीओ शंभू मंडल ने कहा कि जब नई संरचना तैयार की जाती है तब पुरातत्व विभाग से एनओसी लेना होता है. यदि पूर्व से बने तालाब, पोखर आदि का जीर्णोद्धार होना है तो अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.


यह भी पढ़ें- Bihar News: कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. शशिनाथ झा गिरफ्तार, जानें पूरा मामला