पटनाः बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का आना राज्य के लिए गौरव की बात है. वे बिहार के राज्यपाल रह चुके हैं. उनकी गरिमामय उपस्थिति वाले समारोह में अनुपस्थित रहकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने दलित समाज से आने वाले एक अतिशालीन व्यक्ति का अपमान किया. वे नीतीश सरकार (Nitish Governement) के शपथ-ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे.
सुशील कुमार मोदी ने पुरानी बातों को लेकर तेजस्वी यादव पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही में बाधा डालना, सदन के भीतर मारपीट करना, आसन की अवहेलना करना और सरकार के जवाब का बहिष्कार करना राजद के संसदीय आचरण का स्वभाव बन चुका है. पार्टी अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह करने में पूरी तरह विफल है.
1952 में 330 थी सदन के सदस्यों की संख्या
विधानसभा का शताब्दी समारोह संसदीय राजनीति में बिहार के योगदान को याद करने का स्वर्णिम अवसर है. आज के और भावी जनप्रतिनिधियों को यह जानना चाहिए कि उनके पुरखों ने बिहार को आधुनिक बनाने के लिए किस तरह के फैसले लिए. इस सदन के सदस्यों की संख्या यदि 1952 में 330, 1956 में 318, 1977 में 324 और वर्ष 2000 में 243 हो गई, तो उसकी परिस्थितियों से नई पीढ़ी को अवगत होना चाहिए.
तेजस्वी के शामिल नहीं होने के पीछे की वजह
तेजस्वी यादव ने कहा कि प्रोटोकॉल के तहत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के स्वागत में वह गए थे और उन्हें कार्यक्रम की भी जानकारी है, लेकिन इस संबंध में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को सूचना भी दे दी है. कहा कि वह अपने दल (आरजेडी) से घूमने वाले अकेले ही हैं और अब समय भी नहीं है, तो उन्हें जनता के बीच रहना है. बाकी कार्यक्रम चलता रहे.
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