पटना: प्रदेश के वेटनरी कॉलेजों के जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल मंत्री मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) के आश्वासन के बाद खत्म हो गया है. स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान किया था. डॉक्टरों के हड़ताल का शुक्रवार को दूसरा दिन था. ऐसे में सभी जूनियर डॉक्टर वेटनरी कॉलेज के प्रांगण में अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी करते दिखे. डॉक्टरों ने कहा कि एमबीबीएस डॉक्टर और वेटनरी डॉक्टर का काम एक समान है, ड्रेस समान है. यहां तक कि वे लोग तो मनुष्य का इलाज करते हैं. लेकिन हम लोग (वेटनरी डॉक्टर) कई तरह के जानवरों का इलाज करते हैं. फिर हम दोनों में सरकार ने असमानता रखी है.
जानवरों के गुस्से का होना पड़ता है शिकार
उन्होंने कहा कि उन्हें स्टाइपेंड के रूप में पांच हजार रुपये दिए जाते हैं. जबकि एमबीबीएस डॉक्टर, यूनानी चिकित्सक, फार्मासिस्ट सभी को उनसे तीन गुना ज्यादा स्टाइपेंड दिया जाता है. आखिर ये भेदभाव क्यों. इस संबंध में फाइनल ईयर की छात्रा तराना निषाद ने कहा कि वे लोग एमबीबीएस डॉक्टर से ज्यादा काम करते हैं. उन्हें आए दिन जानवरों के गुस्से का शिकार होना पड़ता है. कभी घोड़ा लात मारता है, तो कभी कुत्ते झपट्टा मारते हैं. फिर भी वे लोग जानवरों का इलाज करते हैं.
मंत्री ने छात्रों को दिया आश्वासन
हालांकि, हड़ताल के दूसरे ही दिन मंत्री मुकेश सहनी धरना स्थल पहुंचे और छात्र प्रतिनिधियों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने उनकी मांग को जायज करार दिया और छात्रों को ये आश्वासन दिया कि आने वाले 15 दिनों के अंदर उनकी मांगें पूरी कर दी जाएंगी. ऐसे में तब तक के लिए छात्रों ने मंत्री के आश्वासन पर हड़ताल स्थगित कर दिया है. लेकिन सरकार को ये चेतावनी दी गई है कि अगर 15 दिनों के अंदर मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तो वे फिर से हड़ताल पर जाएंगे.
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