पटना: बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय (Bihar Veterinary College) के समस्त छात्र-छात्राएं (जूनियर डॉक्टर) पिछले छह जून से हड़ताल पर थे. लेकिन बुधवार को हड़ताल खत्म हो गई. ये लोग इंटर्नशिप एवं पीजी पशु डॉक्टरों के मानदेय को बिहार के विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के समान करने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से वेटरनरी कॉलेज के मुख्य गेट पर धरना दे रहे थे. बुधवार को सचिवालय एसपी काम्या मिश्रा के नेतृत्व में पुलिस ने आंदोलन कर रहे जूनियर डॉक्टरों को बलपूर्वक कॉलेज कैंपस से बाहर कर दिया. इस दौरान कुछ देर तक जूनियर डॉक्टर और पुलिस के बीच हंगामा होता रहा, इसके बाद पुलिस पांच जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल को लेकर पशुपालन विभाग पहुंची, वहां उन लोगों ने अपनी बात रखी.
आंदोलन कर रहे पीजी के छात्रों का कहना है कि वे लोग इसकी मांग 2016 से कर रहे हैं, लेकिन आज तक केवल आश्वासन ही मिला है. बताया जा रहा है कि जूनियर डॉक्टरों पिछले साल भी धरना पर बैठ गए थे, इसके बाद तत्कालीन पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी धरना स्थल पर पहुंचे थे. उनके आश्वासन के बाद धरना खत्म हुआ था. उन्होंने कहा था कि 15 दिनों के अंदर उनलोगों की मांगों पर विचार किया जाएगा, लेकिन छह महीने से अधिक समय होने को है, अभी तक कुछ नहीं हो पाया.
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जूनियर डॉक्टरों ने इसके बाद छह जून से धरना-प्रदर्शन फिर शुरू कर दिया. इंटर्नशिप करने वाले जूनिर डॉक्टरों ने बताया कि बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय में इंटर्नशिप करने वाले जूनियर डॉक्टरों को पांच हजार रुपये प्रतिमाह और पीजी छात्रों को मात्र 1800 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है. अन्य चिकित्सा पद्धति के छात्रों के इंटर्नशिप की राशि 17000 से 25000 एवं पीजी फैलोशिप लगभग 65000 से 82000 के बीच है. इंटर्नशिप छात्रों ने बताया सिर्फ बिहार में जूनियर पशु चिकित्सकों को इतनी कम राशि दी जाती है.
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