बिहार: चौकीदारों ने प्रशासन के खिलाफ खोला मोर्चा, थानाध्यक्षों की 'करतूत' का किया खुलासा, कहा- खुद बचने के लिए...
धरने में शामिल चौकीदार ने कहा, " हम सूचना तो देते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है. वहीं, कोई हादसा होने के बाद खुद के बचने के लिए थाना प्रभारी द्वारा चौकीदार पर ठीकरा फोड़ दिया जाता है."
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने शराबबंदी कानून पर समीक्षा बैठक कर कानून को सफल बनाने के लिए थानाध्यक्ष और चौकीदारों की जिम्मेदारी तय कर दी है. वहीं, लापरवाह पाए जाने पर क्या एक्शन लिया जाएगा, वो भी बता दिया गया है. शराबबंदी जैसे बड़े और महत्वपूर्ण कानून को लागू कराने के लिए जो जिम्मेदारी थानाध्यक्ष और चौकीदारों को सौंपी गई है, वो काफी बड़ी है. ऐसे में चौकीदारों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने गुरुवार को बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में धरना दिया और सरकार के सामने अपनी मांग रखी.
शराबबंदी के कारण चौकीदारों की हो रही हत्या
इस दौरान उन्होंने थाना अध्यक्षों पर गंभीर आरोप भी लगाए. धरना में शामिल डॉक्टर संत सिंह ने कहा कि हम लोग आज इसलिए इकठ्ठा हुए हैं क्योंकि जब से शराबबंदी हुई है, तब से चौकीदार की हत्याएं बढ़ गई हैं. बीते एक महीने में तीन चौकीदार की हत्या हो गई है. वो भी ड्यूटी के क्रम में. पुलिस खुद बचने के लिए चौकीदार को बलि का बकरा बना रही है. हम सूचना तो देते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है. वहीं, कोई हादसा होने के बाद खुद के बचने के लिए थाना प्रभारी द्वारा चौकीदार पर ठीकरा फोड़ दिया जाता है. पुलिस और शराब माफिया के गठजोड़ के कारण चौकीदारों की हत्या हो रही है.
अन्य लोगों की भी जिम्मेदारी तय हो
वहीं, राजकुमार ने कहा, " आज शराबबंदी कानून के तहत चौकीदार को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. हम लोग ड्यूटी कर ही रहे हैं. लेकिन थाने में ड्यूटी के बाद फील्ड में ड्यूटी करने का हमें मौका नहीं मिलता. यदि कोई सूचना मिलती है तो थाने को सूचित किया जाता है, पर प्रशासन लेट पहुंचती है." इधर, बेगूसराय से आए मुहम्मद सुल्तान ने कहा, " शराबबंदी को सफल बनाने का सारा जिम्मा थानेदार और चौकीदार पर डाल दिया गया है. सरकार से अनुरोध है कि वो अन्य लोगों की भी जिम्मेदारी तय करें."
चौकीदारों की है कमी
उन्होंने कहा, " अभी चौकीदार की संख्या घट रही है. पहले एक थानांतर्गत 70 चौकीदार हुआ करते थे. अब उनकी संख्या घटकर 20 से 25 हो गई है. पहले एक गांव में एक चौकीदार हुआ करते थे अब एक पंचायत में 4 चौकीदार ही होते हैं. जबकी एक पंचायत में 12 से 15 गांव होते हैं. इतनी बड़ी आबादी में रात के अंधेरे में सभी पर नजर रखना बहुत मुश्किल काम है."
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