पटना: बिहार की नीतीश कुमार की अगुआई में गठित नई सरकार के साथ विधान सभा का पहला शीतकालीन सत्र विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के साथ समाप्त हो गया है. अब बारी है मंत्रिमंडल का विस्तार का जिसके बहुत जल्दी होने के आसार हैं. सूत्रों की माने तो इन दिनों सत्ता के गलियारे में ये चर्चा ज़ोरों पर है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में क्या मुस्लिम नेता को भी मिलेगा मंत्री पद. ये सवाल इसलिए चर्चे में है क्योंकि इस बार एनडीए की ओर से एक भी मुस्लिम नेता को नही मिल सकी है विधान सभा की सदस्यता. बीजेपी की ओर से पार्टी ने एक भी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट नहीं दिया था लेकिन जेडीयू ने 11 मुस्लिम प्रत्यासियों पर दांव लगाई थी पर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार के हिस्से में जीत नहीं आयी.और यही कारण है कि इस बार नीतीश मंत्रिमंडल के पहले गठन में किसी भी मुस्लिम नेता को जगह नहीं मिल पाई हालांकि नीतीश कुमार के पिछले मंत्रिमंडल की बात करें तो उसमें एक मंत्री ख़ुर्शीद आलम मुस्लिम थे जिनके जिम्मे अल्पसंख्यक कल्याण विभाग था लेकिन इस बार उन्हे भी हार मिली.इसने अलावे अगर विकल्प की बात करें तो जोडीयू के पास मौजूदा वक्त में पांच मुस्लिम एमएलसी जरुर हैं जिनमें गुलाम गौस,तनवीर अख्तर,खालिद अनवर,के अलावे ग़ुलाम रसूल बलियावी और कमरे आलम का नाम शामिल है. चर्चा इन पांचों के नाम पर तेज है कि इनमें से किसी को भी मुख्यमंत्री अपने कैबिनेट का हिस्सा बना सकते हैं.सूत्रों की माने तो आरजेडी से चुनाव हारे बड़े मुस्लिम चेहरे को भी जेडीयू अपने दल में शामिल कर एमएलसी का पद देने की जुगत में जुड़ी है वहीं चर्चा इस बात की भी तेज है कि बीएसपी से चुनाव जीते एक मात्र विधायक जमा खान भी जेडीयू से संपर्क में हैं और आलाकमान से उनकी बात चल रही है अच्छे मंत्रिमंडल के ऑफर पर वो पार्टी में शामिल भी हो सकते हैं.राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो मुख्यमंत्री मुस्लिम चेहरे को अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर अपने मुस्लिम वोटरों को एक संदेश देने की पहल जरुर करेंगें कि वो उनके साथ हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि मंत्रिमंडल विस्तार में कौन सा मुस्लिम चेहरा नीतीश सरकार के लिए सटीक बैठता है.