नीतीश सरकार की 25000 वाली स्कीम, किसे मिलेगा योजना का लाभ? पढ़ लीजिए पूरी खबर
Bihar Government Scheme: मुख्यमंत्री राहत कोष से ये रुपये दिए जाएंगे. अब तक खतरनाक नियोजनों से विमुक्त कराए गए 300 से अधिक किशोर श्रमिकों को तत्काल इसका लाभ प्रदान कराया जाएगा.

Bihar Government Yojana: चुनावी साल में नीतीश सरकार हर क्षेत्र में खजाना खोल रही है. अब बाल श्रमिकों पर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ध्यान दिया है. पहले 14 वर्ष से कम उम्र के बाल श्रमिकों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 25 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता था लेकिन अब श्रम संसाधन विभाग ने इसमें बड़ा बदलाव किया है. अब 14 से 18 वर्ष तक के मजदूरी करने वाले किशोरों को भी 25 हजार रुपये की सहायता राशि मिलेगी. मुख्यमंत्री राहत कोष से यह दिया जाएगा. सरकार का यह कदम बाल श्रम को रोकने के लिए किया गया है.
श्रम संसाधन विभाग के सचिव दीपक आनंद ने गुरुवार (06 फरवरी) को बताया कि बाल एवं किशोर श्रम 1986 के अंतर्गत पहले केवल 14 वर्ष से कम उम्र के बाल श्रमिकों को पुनर्वासन और पढ़ने-लिखने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 25 हजार की अनुदान राशि दी जा रही थी. हाल ही में लिए गए निर्णय के अनुसार वैसे किशोर जिन्होंने 14 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो लेकिन उनकी आयु 18 वर्ष से कम हो और जिनका विवरण चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम (CLTS) में दर्ज हो उनको भी विमुक्त कराए गए बाल श्रमिकों की तरह मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रति श्रमिक 25,000 रुपये की अनुदान राशि उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है.
300 से अधिक किशोरों को तत्काल मिलेगा इसका लाभ
सचिव दीपक आनंद ने बताया कि विमुक्त किशोर श्रमिकों को यह लाभ वर्ष 2022-23 के प्रभाव से ही प्रदान किया जाएगा. अब तक खतरनाक नियोजनों से विमुक्त कराए गए 300 से अधिक किशोर श्रमिकों को तत्काल इसका लाभ प्रदान कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि श्रम संसाधन विभाग राज्य में बाल श्रम विमुक्ति की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है. साथ ही विमुक्त कराए गए बच्चों को अनुदान राशि के साथ कौशल विकास की योजनाओं से जोड़कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ रहा है.
बताते चलें कि बाल श्रमिकों को मजदूरी से मुक्त करने के लिए सरकार की ओर से पहले भी पहल की गई है. आर्थिक सहायता के साथ-साथ उनको शिक्षित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया किया जाता रहा है. इसके लिए जागरूकता अभियान भी सरकार की ओर से चलाया गया है. विभाग ने पिछले साल इसके लिए जागरूकता अभियान को तेज करने का फैसला लिया था.
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