पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली तो उनके साथ चार बार बतौर डिप्टी सीएम रहे सुशील कुमार मोदी नहीं थे. इस नई सरकार में नीतीश के लक्ष्मण की जगह तार किशोर प्रसाद और रेणु देवी को बतौर डिप्टी सीएम शपथ दिलाई गई. शपथ ग्रहण समारोह के बाद पत्रकारों से रुबरु हुए नीतीश कुमार से सुशील मोदी के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मैं सुशील जी को मिस करुंगा. नीतीश के इस बयान और सत्ता में लंबे साथ पर ये बहस भी खूब चली कि अब नीकु और सुमो की दोस्ती में दूरी आ गई या फिर नीतीश के लक्ष्मण का साथ उनसे छूट गया.लेकिन नयी सरकार गठन के दो दिन बाद ही सीएम नीतीश ने अपने लक्ष्मण के लिए अपने करीब की राह तलाश ली और सुशील मोदी को नई जिम्मेदारी सौंप उन्हें अपने साथ ही रखने की व्यवस्था भी कर ली है.


मुख्यमंत्री नीताश कुमार ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के साथ ही अपने दूसरे करीबी और पूर्व जल संसाधन मंत्री रहे संजय झा को विधान परिषद् में व्यवस्थित करने का इंतजाम कर दिया है.अपने दोनो करीबी और विधान परिषद के दोनों वरिष्ठ सदस्यों को अलग-अलग समितियों का अध्यक्ष बनाया दिया है. पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को आचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं पूर्व मंत्री संजय झा को याचिका समिति की जिम्मेदारी दी गई है.


विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. दोनों समितियां विधान परिषद की स्थाई समिति और महत्वपूर्ण समितियां हैं. बताते चलें कि विधान सभा सत्र के दौरान विधानमंडल के किसी सदस्‍य या अधिकारियों के खिलाफ काम में किसी प्रकार की लापरवाही की शिकायत पर आचार समिति के अध्‍यक्ष पर कार्रवाई की जिम्‍मेदारी होती है.
पूर्व की बात करें तो जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद आचार समिति के अध्यक्ष नीतीश कुमार बनाए गए थे. इससे पहले आचार समिति के अध्यक्ष पूर्व शिक्षा मंत्री पीके शाही और विधान परिषद के पूर्व वरिष्ठ सदस्य रामबचन राय रह चुके हैं.
अवधेश नारायण सिंह की इस पहल से दोनों वरिष्ठ नेताओं को विधान परिषद में अस्थाई रूप से सदस्यता मिल गई है. हालांकि चर्चा ये भी है कि मंत्री नहीं बनाए जाने की सूरत में इन दोनों ही नेताओं का सरकारी बंगला न छिन जाए इसलिए मुख्यमंत्री ने इनके पक्ष में ऐसी पहल की है.