Bihar News: बिहार के इस शहर में नॉनवेज बिक्री पर बैन, 27 अक्टूबर से नहीं मिलेंगे चिकेन, मटन और फिश
Nirvana Mahotsav: पावापुरी भगवान महावीर की निर्वाण स्थल है, यहां जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर ने निर्वाण प्राप्त किया था. भगवान महावीर के निर्वाण उत्सव पर पावापुरी में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है.
Non-Veg Banned In Pawapuri Of Nalanda: नालंदा के पावापुरी जो देश और दुनिया में जैन धर्म का प्रसिद्ध स्थल है. यहां जैन धर्म के पवित्र त्यौहार निर्वाण महोत्सव को लेकर पूरे पावापुरी में नॉनवेज बिक्री पर जिला प्रशासन के जरिए पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है. जिला प्रशासन के जरिए तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं, इसके साथ ही पावापुरी में सड़कों पर किए गए अतिक्रमण को भी हटाया जा रहा है. पावापुरी में भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण महोत्सव मनाया जाएगा और यह कार्यक्रम 27 अक्टूबर से 2 नवंबर तक चलेगा.
महोत्सव में देश विदेश से आते हैं श्रद्धालु
चर्चा है कि इस कार्यकम में राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री कई केंद्रीय मंत्री और जैन धर्म से जुड़े कई बड़े लोगों को आमंत्रित किया गया है. जब देश के लोग दीपावली पर्व घर पर मनाते हैं. उस समय जैन धर्म के लोग दिवाली पावापुरी में आकर मनाते हैं और यहां भगवान महावीर की पूजा अर्चना करते हैं. इस निर्वाण महोत्सव में शामिल होने के लिए देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं.
पावापुरी भगवान महावीर की निर्वाण स्थल है, यहां जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर ने निर्वाण प्राप्त किया था. भगवान महावीर के निर्वाण उत्सव पर पावापुरी में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. यहां पवित्र जल मंदिर को देखने के लिए भी दूर-दूर से लोग आते हैं. इतना ही नहीं पावापुरी में जैन से जुड़े कई मंदिर भी हैं, 2016 में सीएम नीतीश कुमार ने निर्वाण महोत्सव पर दो दिनों के लिए पावापुरी राजकीय महोत्सव मनाने की घोषणा की थी, उसके बाद 2017 से राजकीय महोत्सव मनाया जा रहा है.
महोत्सव का इतिहास जैन धर्म से जुड़ा है
पावापुरी महोत्सव का इतिहास जैन धर्म से जुड़ा हुआ है, जो भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण की याद में मनाया जाता है. यह जैनियों का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है. स्वामी महावीर ने अपना अंतिम समय पावापुरी में बिताया था, जहां उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन दिया था और जैन संघ की स्थापना की थी, उनकी मृत्यु के बाद यहां एक जल मंदिर और एक मंदिर बनवाया था, जो आज भी दर्शनीय स्थल है.
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