पटना : बिहार विधानसभा में भले ही कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ कर 51 सीटों पर हार गई पर उसके हौसलों में कोई कमी नहीं आई. चुनाव में मिली हार पर देर से ही सही लेकिन पार्टी अब हारी हुई सीटों की समीक्षा करने का मन बना चुकी है.इस बार पार्टी हार की समीक्षा पार्टी मुख्यालय में बैठकर नहीं बल्कि उन जिलों में बकायदा कैंप लगाकर करेगी जहां पार्टी को हार मिली है. कैंप में सभी 19 विधायकों के साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, विधायक दल के नेता और दूसरे वरिष्ठ नेता भी शिरकत करेंगे और हार की वजह को जानने की कोशिश करेंगें.इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महागठबंधन की छत्रछाया में जोर आजमाइश की. बंटवारे में कांग्रेस को 70 विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार उतारने के मौके मिले उनकी जीत सुनिश्चित कराने का जिम्मा केंद्रीय टीम को सौंप दिया गया. चुनाव में निर्धारित सीटों पर केंद्रीय टीमें तय करती थी कि किस तरह प्रचार प्रसार करनी है बावजूद इसके अपेक्षित सफलता नहीं मिली और 70 की जगह सिर्फ 19 प्रत्याशी कामयाब हो सके. अब इस बड़ी हार के बाद संगठन में हार की समीक्षा और जिम्मेदारी तय करने की मांग लगातार उठती रही थी कई बार इसको लेकर संगठन में आपसी ताने-बाने भी चलते रहे और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी लगातार जारी रहा. नेताओं के बढ़ते दबाव के बीच प्रदेश नेतृत्व ने हार की समीक्षा की योजना बना ली है. विधायक दल के नेता अजीत शर्मा की माने तो पार्टी चुनावी समीक्षा के लिए जिलों में कैंप लगाने जा रही है हर जिले में लगने वाले कैंप में एक ओर जहां चुनाव में हार की वजहों पर चर्चा होगी वही संगठन को किस तरह मजबूत किया जाए और आने वाले लोकसभा चुनाव में किस तरह से पार्टी को उतारी जाए, कि पार्टी की मजबूती बनी रहे, इसको लेकर भी मंथन किया जाएगा. पार्टी सूत्रों की माने तो लगातार ऐसी चर्चाएं पार्टी के अंदरखाने में चर्चा का विषय बनी रही कि सही प्रत्याशियों का चयन नहीं होने से पार्टी की हार हुई है.प्रत्याशियों की चयन प्रक्रिया अगर सही हुई होती तो पार्टी को इतनी बड़ी हार का सामना नहीं करना पड़ता. इन बातों में कितनी सच्चाई है यह तो पता नहीं लेकिन आरोप ये भी लगते रहे  हैं कि जब टिकट बंटते हैं तो जिन लोगों को टिकट नही मिलती उन लोगों की तरफ से ऐसे आरोप लगातार लगाए जाते रहे हैं और एक बार फिर पार्टी पर इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं  हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की माने तो पार्टी ने जो भी फैसला किया सोच समझकर किया बावजूद उसके यह भी सच है कि हार तो पार्टी को मिली है. अब प्रदेश के आला नेता इस हार की समीक्षा भी करेंगें और अब पूरी तरह पार्टी अगले 2024 के लोकसभा चुनाव पर फोकस करेगा.