पटना: देश में किसान आंदोलन की आग धधक रही है. इसी के तहत एआईकेएससीसी के देशव्यापी आह्वान पर आज पूरे बिहार में जिलाधिकारी कार्यालयों पर किसानों ने प्रदर्शन और धरना दिया. इस प्रदर्शन में हजारों किसान शामिल हुए. राजधानी पटना सहित जहानाबाद, अरवल, आरा, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ, नवादा, पूर्णिया, गया, कटिहार, सिवान, गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी, हाजीपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, मधुबनी, भागलपुर, सासाराम, भभुआ आदि जिला केंद्रों पर किसान संगठनों ने जमकर प्रदर्शन किया और 6 सूत्री मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा.
बताते चलें कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी, प्रस्तावित बिजली बिल 2020 रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868-1888 रु. प्रति क्विंटल की दर से धार खरीद की गारंटी करने, प्रदूषण कानून से किसानों को मुक्त करने आदि की मांगें शामिल थीं. इन कार्यक्रमों में भाकपा-माले के विधायकों ने बड़ी संख्या में भागीदारी निभाई.



पटना में बु़द्धा स्मृति पार्क के पास एआईकेएससीसी के संयुक्त बैनर तले हो रहे इस प्रदर्शन में भाकपा-माले, ऐक्टू, खेग्रामस सहित अन्य संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया था. प्रतिवाद सभा की अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान महासभा के पटना जिला सचिव कृपानारायण सिंह, किसान सभा के पटना जिला सचिव रामजीवन सिंह और किसान सभा के सचिव सोनेलाल प्रसाद ने संयुक्त रूप से किया. सैंकड़ों की संख्या में अखिल भारतीय किसान महासभा, बिहार राज्य किसान सभा, ऐक्टू, खेग्रामस आदि संगठनों के कार्यकर्ता इस प्रदर्शन में शामिल हुए



प्रतिवाद सभा के बाद यह मार्च जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा, जहां मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा गया.इस दौरान कार्यकर्ताओं ने लगभग एक घंटे तक जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव कर कार्यकर्ता कृषि बिल की वापसी को लेकर लगातार नारे लगाते रहे.



प्रदर्शन के दौरान वामदल के नेताओं ने कही ये बातें



किसान बिल के वापसी को लेकर हो रहे इस प्रदर्शन में किसानों संगठनों के साथ बड़ी संख्या में वामदल के नेता कार्यकर्ता भी शामिल हुए.इस दौरान नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के चल रहे आंदोलन को बदनाम व विभाजित करने की कोशिश कर रही है, जिसे हम कभी कामयाब नहीं होने देंगे. बिहार से भी अब किसानों की आवाज उठने लगी है और यह आवाज मोदी सरकार को झुका कर ही दम लेगी. कहा कि सरकार समस्या को हल नहीं ढूंढना है बल्कि उसका असली मकसद भारतीय व विदेशी कारपोरेट को बढ़ावा देना और देश की खेती-किसानी को बर्बाद करना है.



बिहार में नीतीश सरकार के दावे के ठीक विपरीत कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है. बिहार के किसान 800-900 रु. प्रति क्विंटल की दर से अपना धान बेचने को बाध्य हैं. बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने 2006 में ही मंडियों को खत्म कर दिया और इस प्रकार सबसे पहले बिहार के किसानों का भविष्य नष्ट कर दिया गया.



अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह ने कही ये बातें



अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव व एआईकेएससीसी के बिहार-झारखंड प्रभारी राजाराम सिंह ने आज के कार्यक्रम में किसानों की जबरदस्त भागीदारी पर पूरे बिहार की जनता को धन्यवाद ज्ञापित देते हुए कहा भाजपा के लोग अब तक प्रचारित कर रहे थे कि दिल्ली किसान आंदोलन में केवल पंजाब के किसान हैं, लेकिन अब बिहार के बटाईदार किसान तक आंदोलन में उतर चुके हैं और आंदेालन का चौतरफा विस्तार हो रहा है.साथ हीं यह भी कहा कि बिहार की जनता से एआईकेएससीसी के आह्वान पर 29 दिसंबर को आयोजित राजभवन मार्च को भी अपना समर्थन देने की अपील की है.