बिहार: IGIMS के आउटसोर्सिंग स्टाफ ने खोला मोर्चा, अधीक्षक बोले- 'काम नहीं करना तो जाओ घर'
आईजीआईएमएस अधीक्षक ने कहा कि जो भी कर्मी काम नहीं करना चाहते, वो अपने घर जा सकते हैं. चूंकि ये आउटसोर्सिंग पर हैं और अगर ये काम नहीं करना चाहते हैं, तो उन्हें ये अधिकार है कि वो काम छोड़ सकते हैं. लेकिन अभी देखना है कि इस महामारी में कौन मानवता के साथ है और कौन नहीं?
पटना: बिहार की राजधानी पटना स्थित कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल आईजीआईएमएस के आउटसोर्सिंग कर्मियों ने गुरुवार को अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. समान काम, समान वेतन और कोरोना काल में रेगुलर स्वास्थ्यकर्मियों की तरह सुविधा देने की मांग को लेकर उन्होंने कार्य बहिष्कार की घोषणा करते हुए आईजीआईएमएस अधीक्षक के केबिन का घेराव किया और जमकर नारेबाजी की. अधीक्षक मनीष मंडल उन्हें समझाने की कोशिश करते रहें, लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़े रहे. एक साथ इतने लोगों के हड़ताल पर जाने की वजह से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है.
हंगामे से नाराज अधीक्षक ने कही ये बात
कोरोना काल में आउटसोर्सिंग कर्मियों के हंगामे से नाराज आईजीआईएमएस के अधीक्षक ने कहा कि इस महामारी में ज्यादती किसी के साथ भी होती है, तो वो गलत है. लेकिन उनकी मांग कितनी जायज है, यह भी देखना है. अभी अगर मैं इन्हें निकाल दूं, तो इन्हें ही दिक्कत होगी. इनकी पहचान आईजीआईएमएस से है, नहीं तो ये अभी रोड पर ही रहते.
उन्होंने कहा कि जो भी कर्मी काम नहीं करना चाहते, वो अपने घर जा सकते हैं. चूंकि ये आउटसोर्सिंग पर हैं और अगर ये काम नहीं करना चाहते हैं, तो उन्हें ये अधिकार है कि वो काम छोड़ सकते हैं. लेकिन अभी देखना है कि इस महामारी में कौन मानवता के साथ है और कौन नहीं? अभी इस समय सबको मिलकर मानवता के लिए काम करना है.
उन्होंने कहा कि कोविड को लेकर वो व्यस्त हैं और लगातार 16 घंटे लगातार काम कर रहे हैं, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके. आउटसोर्सिंग कर्मियों की समस्या का निदान करने का प्रयास किया जाएगा. चूंकि वो एजेंसी की ओर से रिक्रूट किए गए हैं, ऐसे में नियमों के दायरे में ही रह कर उनकी मदद की जाएगी.
यह है कर्मियों की मांग
दरअसल, कार्य बहिष्कार कर रहे आउटसोर्सिंग कर्मियों की मांग है कि उनकी वेतन बढ़ाई जाए, एम्स पटना के आउटसोर्सिंग कर्मियों की तरह ही उन्हें भी सुविधा मिले, छुट्टी मिले, कोरोना काल में काम करने के दौरान अगर जान-माल का नुकसान हो तो मुआवजा मिले. साथ ही कोरोना संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराने की सुविधा मिले. इन्हीं मांगों को पर स्वास्थ्यकर्मी अड़े हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक मांग पूरी नहीं होगी वो काम पर नहीं लौटेंगे.
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