औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद में सरकार द्वारा 23 नवम्बर से ही पैक्स अध्यक्षों को धान अधिप्राप्ति का निर्देश दिया जा चुका है. इसके साथ ही दो लाख मीट्रिक टन धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया गया है, लेकिन विभागीय उदासीनता की मार झेल रहे पैक्स अध्यक्षों ने धान की अधिप्राप्ति नहीं करने का निर्णय लिया है. इस स्थिति में किसान अपनी धान औने-पौने दामों में बिचौलियों के हाथ बेचने को मजबूर हैं. जबकि सरकार द्वारा धान की कीमत 1868 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है.


बता दें कि पैक्स अध्यक्ष के सीसी अकाउंट में राशि निर्गत नहीं किए जाने के कारण नाराज हैं और धान अधिप्राप्ति नहीं करने का फैसला लिया है, जिसका सीधा असर किसानों पर असर पड़ रहा हैं.


गौरतलब है कि जिले में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पैक्स और व्यापार मंडल के माध्यम से धान क्रय किया जाता है. पैक्स अध्यक्ष एवं व्यापार मंडल द्वारा क्रय किए गए धान का शत प्रतिशत सीएमआर तैयार कर बिहार राज्य खाद्य निगम को आपूर्ति कर दिया जाता है. लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में कई तरह की प्रशासनिक और वित्तीय कठिनाइयों से पैक्स अध्यक्षों को गुजरना पड़ता है.इसके बावजूद समय पर भुगतान नहीं हो पाता है, जिस वजह से पैक्स अध्यक्ष नाराज हैं और सरकार से 40 प्रतिशत सीसी की मांग की है.


बाहरहाल, धान की अधिप्राप्ति में हो रहे विलम्ब को देखते हुए पैक्स अध्यक्षों की 40 प्रतिशत सीसी की मांग के आलोक में तत्काल 20 प्रतिशत सीसी दिए जाने पर सहमति बनी है, जिसके बाद पैक्स अध्यक्षों ने धान की खरीददारी शुरू करने पर अपनी रजामंदी जताई है. ऐसे में 7 दिसम्बर से धान की अधिप्राप्ति शुरू होने की संभावना है. इससे किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने लगेगा और उन्हें बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी.