Bihar Panchayat Chunav 2021: अंतिम चरण की मतगणना के साथ ही मंगलवार को बिहार में पंचायत चुनाव समाप्त हो गया. 11 चरणों में वोटिंग हुई, जिसका परिणाम देखें तो लोगों ने महिलाओं पर सबसे अधिक भरोसा जताया है. कई पदों पर तो लोगों ने नए और युवा चेहरों को मौका दिया है. कम उम्र के युवाओं ने मुखिया बनकर रिकॉर्ड भी बनाया है. कहा जा सकता है कि बिहार के गांवों में इस बार बदलाव की आंधी बह रही है. जिलों से मिले अब तक के अपडेट आंकड़े बताते हैं कि सर्वाधिक चर्चित पद मुखिया का रहा और इस पद पर लगभग 80 फीसद नए चेहरे जीतकर आए हैं. 20 फीसद मुखिया अपनी सीट बचा पाए हैं. 11वें चरण की मतगणना मंगलवार (14 दिसंबर) की देर रात तक जारी रही. फाइनल नतीजे आने के बाद एक्सप्लेनर में दिए गए आकड़ों में मामूली बदलाव की गुंजाइश है.
बड़ी संख्या में युवा और तेज तर्रार महिलाएं
महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था किए जाने के बाद मुखिया पति और प्रमुख पति जैसे शब्द गांवों में प्रसिद्ध हो गए थे. ऐसे में आरक्षित सीटों पर महिलाओं ने जीत हासिल की, तो उनमें बड़ी संख्या युवा और तेज तर्रार दिखीं. इस बार पंचायतों की सेहत सुधारने के लिए महिलाओं को मौका दिया गया है. बिहार के जिलों से 6,307 पंचायतों के नतीजे मिले. इनमें 5,016 नए मुखिया चुनकर आए, जबकि 1,266 पुराने चेहरे बचे. यानी इनमें 79.53 प्रतिशत नए चेहरे हैं, जबकि 20.07 प्रतिशत पुराने. विश्वविद्यालय और कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुनाव के मैदान में उतरे युवाओं भी लोगों ने मौका दिया है.
बिहार में कुल कितने पदों पर हुआ चुनाव?
बिहार में 24 सितंबर से 12 दिसंबर के बीच कुल 11 चरणों में पंचायत चुनाव हुआ. 14 दिसंबर को अंतिम चरण में हुए मतदान की काउंटिंग हुई. अगर सभी चरणों को मिला दें तो कुल 2 लाख 59 हजार 260 पदों के लिए इस बार मतदान हुआ है. इनमें मुखिया के 8387 पद, सरपंच के 8387 पद, वार्ड सदस्य के 1 लाख 14 हजार 667 पद थे. इसके अलावा पंचायत समिति के 11491, जिला परिषद सदस्य के 1161 और पंच के एक लाख 14 हजार 667 पदों पर चुनाव हुआ है.
काम नहीं आया पैसा और दारू, जेल भी गए
बिहार में वोट खरीदने के लिए पैसों और दारू का भी खेल चलता रहा. कई प्रत्याशी रंगे बाथ पकड़े गए जिन्हें जेल भेजा गया. चुनाव के दौरान शराब और पैसे बांटने की शिकायतें आती रहीं. वोट के लिए शराब और रुपयों के साथ गांवों में ऑर्केस्ट्रा का भी आयोजन होता रहा लेकिन इसका कहीं असर नहीं हुआ. पंचायत चुनाव पर नजर रखने वाले जानकारों ने माना कि इसका खास असर नतीजों पर नहीं दिखा. पुराने चेहरों ने सर्वाधिक प्रलोभन दिए, लेकिन तख्तापलट हो गया. यही वजह है कि गांवों की जिम्मेदारी महिलाओं और नए चेहरों के साथ-साथ युवाओं के कंधे पर आ गई है.
चार जिलों के उदाहरण को देखकर ऐसे समझिए
मधुबनीः पुराने चेहरों को ठुकराने के उदाहरण के तौर पर देखें, तो मधुबनी की 388 पंचायतों के नतीजे मिले. इनमें सिर्फ 84 सीटों पर पुराने मुखिया जीत पाए. 304 सीटों पर तख्तापलट हो गया.
जहानाबादः 88 पंचायतों में से सिर्फ 10 पंचायतों में पिछली बार निर्वाचित रहे मुखिया अपनी सीट बचा पाए.
कटिहारः 233 पंचायतों के नतीजे मिले, जिनमें 89 वैसे चेहरे जीत हासिल करने में सफल रहे, जिन्होंने पिछली बार भी जीत हासिल की थी.
मुजफ्फरपुरः 350 पंचायतों के नतीजों का विश्लेषण करें, तो पता चलता है कि वहां सिर्फ 60 पुराने मुखिया जीत पाए. 290 पंचायतों की जनता ने नए चेहरे पर भरोसा किया.