Bihar Panchayat Chunav: जीतन राम मांझी ने CM नीतीश से कहा- पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को बढ़ाएं
15 जून को त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा. जीतन राम मांझी के पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी कर चुके हैं कि कार्यकाल को विस्तारित करने से पंचायत स्तर पर कोरोना प्रबंधन के साथ-साथ विकास कार्यों का बेहतर समन्वय के साथ क्रियान्वयन हो सकेगा.
पटनाः बिहार में इसी साल पंचायत चुनाव होना था, हालांकि अभी तक कुछ साफ नहीं हो सका है. अभी अगली सूचना तक इसे स्थगित कर दिया गया है. 15 जून को त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा. ऐसे में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को छह महीने तक बढ़ाने के लिए आग्रह किया है.
जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को ट्वीट कर लिखा “कई बार आपातकाल के दौरान लोकसभा के कार्यकाल को संविधान के आर्टिकल 352 के तहत बढ़ा दिया गया. कोरोना के आपात संकट को ध्यान रखते हुए नीतीश कुमार जी से आग्रह है कि पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल कम से कम 6 माह के लिए बढ़ा दिया जाए जिससे ग्रामीण इलाके का विकास कार्य चलता रहे.”
तेजस्वी यादव भी कर चुके हैं कार्यकाल को विस्तार करने की मांग
तेजस्वी यादव ने भी इस मसले पर ट्वीट कर अपनी बात रखी थी. उन्होंने कहा था कि कार्यकाल को विस्तारित करने से पंचायत स्तर पर कोरोना प्रबंधन के साथ-साथ विकास कार्यों का बेहतर समन्वय के साथ क्रियान्वयन हो सकेगा. पंचायत लोकतंत्र की बुनियादी इकाई है. अगर निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों की जगह प्रशासनिक अधिकारी पंचायतों का जिम्मा सम्भालेंगे तो यह भ्रष्टाचार व तानाशाही बढ़ाएगा.
“अब गांव स्तर पर भी सरकारी अफसर फाइल देखने लगेंगे तो गरीब की सुनवाई नहीं होगी. लोकतंत्र के लिए चुने हुए लोग जरूरी. बिहार पहले से ही नीतीश सरकार की तानशाही और लोकतंत्र की हत्या से परेशान है. अब कम से कम पंचायत और वार्ड स्तर पर तो इस अलोकतांत्रिक रवैये, तानाशाही और संगठित भ्रष्टाचार को फैलाने से परहेज किजीए.”
गौरतलब हो कि कोरोना त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर लगभग पूरी तरह से ग्रहण लग गया है. सूत्रों के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायतों का कामकाज 15 जून के बाद जनप्रतिनिधियों के जिम्मे नहीं, बल्कि अधिकारियों के हाथ में चला जाएगा. वार्ड से लेकर ग्राम पंचायत, पंचायती समिति और जिला परिषद तक की विकास योजनाएं बनाने और मंजूर करने का अधिकार प्रखंड से लेकर जिलों के अफसरों को देने की तैयारी सरकार कर रही है.
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