गया: बिहार के गया जिले में 10 चरणों में पंचायत चुनाव होना है, जिसमें दो चरणों के मतदान और मतगणना का कार्य संपन्न हो चुका है. वहीं, बाकी बचे चरणों के लिए तैयारी जारी है. जिले के अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र डुमरिया प्रखण्ड के छकरबन्धा पंचायत का एक गांव ऐसा है, जो औरंगाबाद की सीमा पर अवस्थित है. अनबरन सलैया नामक गांव की भौगोलिक स्थिति यह है कि ये पहाड़ की तलहटी में बसा है और यहां करीब 500 मतदाता हैं. 

 

मतदान केंद्र 120 किलोमीटर दूर

 

इन ग्रामीणों का विधानसभा क्षेत्र इमामगंज है. वहीं, लोकसभा चुनाव में ग्रामीण औरंगाबाद के लिए मतदान करते हैं. दोनों चुनाव में मतदान के लिए गांव के स्कूल में ही मतदान केंद्र बनाया जाता है. लेकिन पंचायत चुनाव में मतदान केंद्र छकरबन्धा रहता है. दूरी काफी अधिक होने की वजह से 500 मतदाता में करीब 100 से 150 मतदाता ही मतदान करने जाते हैं. 

 

ग्रामीण महेंद्र सिंह भोक्ता बताते हैं कि पंचायत चुनाव में मतदान केंद्र छकरबन्धा और लोकसभा व विधानसभा में मतदान केंद्र गांव में ही होता है. इस बार 24 नवंबर को डुमरिया प्रखण्ड में मतदान होना है. ऐसे में अब मतदान करने जाने की चिंता सताने लगी है. छकरबन्धा अगर किसी वाहन से जाएंगे तो 120 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी. वहीं, जंगल व पहाड़ के रास्ते जाएंगे तो 20 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी. लेकिन मतदान के लिए पैदल जाना संभव नहीं है.  

 

शाम होने के कारण लौट नहीं पाते घर

 

वहीं, पास के गांव गोपाल डेरा के ग्रामीणों ने बताया कि मतदान के दिन वे वापस अपने गांव नहीं लौट पाते हैं. चूंकि पैदल चलकर मतदान केंद्र तक जाना होता है और वापस लौटने के समय शाम हो जाती है. ऐसे में जंगल पहाड़ के रास्ते वापस लौटना सुरक्षित नहीं होता है, इसलिए कुछ लोग जाते भी नहीं है और जो पैदल चल कर जाते हैं, उन्हें उसी गांव में रात गुजारना पड़ता है. लोकसभा और विधानसभा की तरह गांव में ही मतदान केंद्र बनाए जाने की मांग को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने गया डीएम अभिषेक सिंह व विधायक सह पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भी आवेदन दिया है.

 

औरंगाबाद में शामिल करने की मांग

 

इस सम्बंध में इमामगंज विधायक सह पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि इसकी जानकारी है. डुमरिया प्रखण्ड के कई गांव औंरगाबाद जिले के देव प्रखण्ड के काफी नजदीक स्थित हैं. जंगल और पहाड़ों के बीच में हैं. ऐसे में मैंने औरंगाबाद जिले में इन गांवों को शामिल करने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि मतदान केंद्र,अस्पताल या प्रशासनिक मामला हो ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, ऐसे में मतदान के लिए जंगल-पहाड़ का रास्ता सुरक्षित नहीं है. इसे लेकर पत्राचार भी किया गया था. 

 

इधर, गया डीएम अभिषेक सिंह ने बताया कि अनबरन सलैया रिमोटेस्ट क्षेत्रों में से एक है. हर बार चुनाव के समय यह बात सामने आती है. ग्रामीणों को औरंगाबाद होकर जाना पड़ता है. पंचायत चुनाव में गांव में ही मतदान केंद्र बनाए जाने की मांग रखी गई है. इस पर राज्य निर्वाचन आयोग से बात कर सार्थक पहल की जाएगी.

 


 

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