सुपौल: महिलाओं ने प्रतिभा के बूते हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है. घर की दहलीज से निकल कर महिलाएं राजनीति में प्रवेश कर समाज सेवा में अपना योगदान सालों से दे रही हैं. हालांकि, मौजूदा समय में समाज सेवा के क्षेत्र में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ने लगी है. यही कारण है कि अब राजनीति में महिलाओं की पकड़ मजबूत होती जा रही है. इस आश्चर्यजनक परिवर्तन से लोग भी हैरान हैं.
चुनावी दंगल में कूदी छात्रा
बिहार में जारी पंचायत चुनाव में भी महिलाएं बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही रही हैं. पंचायती राज में 50 प्रतिशत आरक्षण मिलने के बाद महिलाएं चुनावी दंगल में हिस्सा ले रही हैं. बिहार के सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड क्षेत्र में पुरुषों की अपेक्षा इस बार महिलाओं ने अधिक संख्या में नामांकन दाखिल किया है. इन्हीं महिलाओं में से एक सोनी कुमारी हैं, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती थीं. लेकिन अपनी पढ़ाई छोड़ कर वो इस बार पंचायत चुनाव लड़ रही हैं.
सोनी पॉलिटिकल साइंस में एमए कर चुकी उच्च शैक्षणिक योग्यता हासिल करने वाली एक मात्र महिला उम्मीदवार हैं. वो यूजीसी नेट की परीक्षा भी उतीर्ण कर चुकी हैं. कोरोना काल की वजह से यूपीएससी का पीटी पास कर दिल्ली से घर लौटी सोनी यूपीएसी की मुख्य परीक्षा में शामिल होने से वंचित रह गईं. फिर भी वो घर पर रह कर अगली परीक्षा की तैयारी कर रही हैं. इसी दौरान उन्हें समाज सेवा करने का जुनून सवार हो गया. ऐसे में उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला लिया. इधर, परिजनों ने भी उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी.
चुनाव लड़ने की बताई ये वजह
बताया जाता है कि सोनी पंचायत समिति सदस्य पद से चुनाव लड़ रही है. कम समय में ही पिपरा प्रखंड क्षेत्र के बसहा जैसे सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाके के लोग सोनी के निर्णय की प्रशंसा करने लगे हैं. पिता राजेन्द्र यादव क्षेत्र के पूर्व जिला परिषद सदस्य रह चुके है. पिता के सपने को साकार करने चली बेटी के निर्णय पर पिता गर्व से आनंदित हैं. वहीं, पुरुष-महिला के बीच मौजूद भेदभाव को खत्म करने निकली सोनी का कहना कि समय बदल गया है, जो कार्य पुरुष प्रधान क्षेत्र में नहीं होता है, वो महिलाए कर रही हैं. उसका सपना है कि वह समाज निर्माण में अपना योगदान दे.
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