DM Submitted The Report To BPSC: बीते 13 दिसंबर को बिहार लोक सेवा आयोग के जरिए 2035 पदों के लिए आयोजित 70वीं बीपीएससी परीक्षा में पटना के कुम्हरार स्थित बापू परीक्षा परिसर में हुए हंगामे की जांच रिपोर्ट पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह ने बीपीएससी अध्यक्ष को सौंप दी है. चन्द्रशेखर सिंह ने परीक्षा केंद्र पर वरीय दंडाधिकारी के पद पर तैनात एडीएम ब्रजकिशोर लाल को जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. 


'जान बूझकर परीक्षा को रद्द करने की साजिश'


डीएम ने आज बीपीएससी को जांच रिपोर्ट के साथ वीडियो फुटेज भी संलग्न करते हुए पूरा साक्ष्य दिया है. इस जांच रिपोर्ट में पाया गया है कि जो हंगामा हुआ है वह कहीं ना कहीं प्लानिंग के तहत किया गया था और जान बूझकर परीक्षा को रद्द करने की साजिश थी, जिसमें कुछ  लोग परीक्षार्थि बनकर अंदर गए थे और उसके कुछ गैंग बाहर थे. जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ कोचिंग संस्थान के लोग भी इसमें शामिल हैं.


डीएम ने बीपीएससी को पांच वीडियो फुटेज संग्लन कराया है. जांच के दौरान जो सीसीटीवी फुटेज सामने आए हैं, उसमें बताया गया है कि यह हंगामा प्लानिंग के तहत किया गया है. और जानबूझकर शरारती तत्व परीक्षार्थी बन के अंदर गए और उनका कुछ ग्रुप बाहर में थे. उनका मकसद  किसी भी हाल में परीक्षा को रद्द करवाने की साजिश थी. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो फुटेज के आधार पर चिह्नित लोगों पर अनुशासनिक कार्रवाई के साथ-साथ हत्या का भी मामला दर्ज होना चाहिए, क्योंकि एक विक्षक राम इकबाल सिंह की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.


जो वीडियो फुटेज प्रस्तुत किया गया है, उसमें साफ दिख रहा है कि परीक्षार्थी अभ्यर्थियों से प्रश्न पत्र छीन रहे हैं, उसे फाड़ रहे हैं साथ ही प्रश्न पत्र के पैकेट को बाहर खड़े लोगों को दिया जा रहा है, शरारती तत्व कमरे में घुस घुस कर परीक्षा दे रहे लोगों का प्रश्न पत्र छीन रहे हैं. एडीएम वब्रजकिशोर लाल ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि परीक्षा केंद्र में पांच तल्ला तक कमरे थे. इस कारण कुछ कमरों में 10 से 15 मिनट का लेट हुआ, जिस पर पर हंगामा किया गया और कहा गया कि उतना समय हमें मिलना चाहिए और लेट का बहाना बनाते हुए परीक्षार्थियों ने परीक्षा रद्द करवाने की साजिश के तहत अफवाह फैलाकर परीक्षा को बाधित करने की नीयत से बहिष्कार किया गया.


परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया कि बुकलेट प्रश्न पत्र एवं ओएमआर शीट आदि सामने नहीं खोला गया जबकि परीक्षार्थियों के सामने ही खोला गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि बुकलेट और ओएमआर शीट को बाहर नहीं ले जाना होता है, लेकिन सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि परीक्षार्थी पुरी पैकेट के साथ प्रश्न पत्र को लूट कर बाहर ले जा रहे हैं और गेट के बाहर अपने साथियों को दे रहे हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ सामाजिक तत्व परीक्षा में सम्मिलित थे अभ्यर्थियों ने केंद्र अधीक्षक को घेर कर परीक्षा निरस्त होने की घोषणा करने के लिए दबाव बनाने लगे थे, लेकिन ऐसी घोषणा नहीं की गई.


बिहार लोक सेवा आयोग से की गई कई मांगे


डीएम ने बीपीएससी को जो रिपोर्ट सौंपा है, उसमें बिहार लोक सेवा आयोग से भी कई मांगे की गई हैं, जिसमें पहली मांग है कि बापू परीक्षा परिसर में पांच तल्ला तक बड़ा बिल्डिंग है और पूरे के लिए एक केंद्र अधीक्षक और दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई थी, जबकि प्रत्येक तल पर एक केंद्र अधीक्षक और दंडाधिकारी होना चाहिए था. दूसरी मांग की गई है कि बापू परीक्षा परिसर या किसी भी परीक्षा केंद्रों की परीक्षा के लिए जिला प्रशासन के जरिए केंद्र चयनित किया जाना चाहिए, लेकिन बीपीएससी इसके लिए जिला प्रशासन से राय नहीं लेते हैं.


साथ ही केंद्र अधीक्षक और वीक्षकों की प्रतिनियुक्ति भी जिला प्रशासन की देखरेख में होना चाहिए. इसके साथ ही जिस तरह से यहां हंगामा हुआ उस दौरान परीक्षार्थियों को संबोधित करने के लिए जो ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग किया जा रहा था वह उपयुक्त नहीं था. गुणवत्ता के ध्वनि विस्तार यंत्र के अभाव में परीक्षार्थियों को संबोधन करने और भीड़ प्रबंधन में समस्या का सामना करना पड़ा. इसलिए यह आवश्यक है कि बड़े परीक्षा केंद्रों पर अच्छी क्षमता वाले ध्वनि विस्तारक यंत्र की व्यवस्था बीपीएससी को करनी चाहिए.


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