सहरसा: सरकार चाहे कोई ही सभी अपने कार्यकाल में विकास का दावा करती है. आजादी के बिहार में कई बार सत्ता परिवर्तन हुआ, नई सरकार आई. लेकिन राज्य में अब भी कई गांव ऐसे हैं, जहां तक विकास नहीं पहुंचा है. वहां के लोग अब भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीने को विवश हैं. ऐसा ही एक गांव है बिहार के सहरसा जिले में जहां लोग आजादी के बाद से पुल के लिए संघर्ष कर रहे हैं.


बारिश के मौसम में लेना पड़ता है नाव का सहारा


सहरसा जिला मुख्यालय से महज पंद्रह किलोमीटर दूर सत्तर कटैया प्रखंड के कुम्हराघाट में आजादी के बाद से अब तक धेमुरा नदी कोई पुल नहीं बनाया गया है, जिससे लगभग पांच हजार लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बारिश के मौसम में लगभग छह गांव के लोगों को आवागवन के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है.


खाट पर लादकर ले जाते हैं मरीज


हालांकि, ठंड और गर्मी में पानी कम होने की वजह से लोगों को थोड़ी राहत मिलती है और वो चलकर नदी पार करते हैं. लेकिन ग्रामीणों की परेशानी तब बढ़ है, जब कोई बीमार पड़ जाता है और उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की जरूरत होती है. पुल नहीं होने की वजह से ग्रामीण खाट पर मरीज को लादकर अस्पताल पहुंचाते हैं. कई बार इस चक्कर में मरीज की मौत भी हो जाती है.


ठगा हुआ महसूस करते हैं मरीज


स्थानीय लोगों की मानें तो हर चुनाव में वादा किया जाता है कि पुल का निर्माण कराया जाएगा. लेकिन आज तक किसी जनप्रतिनिधि ने यहां पुल का निर्माण नहीं कराया, चाहे वो सांसद हो या मंत्री. हर चुनाव में वोट देने के बाद वो खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं. ऐसे में उनकी मांग है कि जल्द से जल्द पुल का निर्माण कराया जाए ताकि आम लोगों को राहत मिले.