Bihar News: पटना में बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण, ये है सरकार की 'नल जल योजना' की हकीकत!
Nal Jal Yojana: पटना के ग्रामीण इलाके के लोगों का कहना है कि नल जल योजना के तहत टंकी भी लगी और पाइप भी बिछा, नल की टोटी भी लगी, लेकिन उसमें पानी कभी नहीं आया.
Patna People Upset For Water: पिछले 15 दिनों से बिहार भीषण गर्मी की चपेट में है. इस वर्ष की गर्मी ने पिछले 45 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा है और 48 डिग्री से ऊपर तापमान दर्ज किया गया है. कल बक्सर में जहां 46 डिग्री तापमान रहा तो राजधानी पटना में भी 43 डिग्री से ऊपर तापमान दर्ज किए गए. लोग गर्मी से परेशान हैं और इस भीषण गर्मी में भी राजधानी पटना के ग्रामीण इलाके के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.
'नल का जल योजना' का हाल बदहाल
बिहार के अन्य जिलों की बात तो छोड़ दें, राजधानी पटना के ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति देखकर आप भी दंग रह जाएंगे कि भीषण गर्मी के बीच लोग किस तरह पानी के लिए तरस रहे हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भीषण गर्मी को देखते हुए बिजली विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग को कई निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि 'हर घर नल का जल' योजना के तहत सभी लोगों को पानी मिल रहा है. सरकार की ये योजना कागज पर तो दिख रही है, लेकिन धरातल पर माजरा कुछ और है.
बिहार सरकार के हर घर नल का जल योजना से कितना लाभ लोगों को मिल रहा है इसकी सच्चाई जानने के लिए एबीपी न्यूज ने राजधानी पटना के फतुहा स्थित देहाती क्षेत्रों का दौरा किया, जहां से यह जानकारी मिली कि एक नहीं कई ऐसे गांव हैं, जहां सरकार की योजना का खर्च तो हुआ है गांव में बड़ी-बड़ी टंकी समरसेबल मोटर बिजली सभी कुछ लगे हुए हैं. लोगों के घरों तक पाइप भी लगा हुआ है, परंतु पानी नहीं मिल रहा है.
जानिए पटना के परसा गांव का हाल
सबसे पहले बताते हैं परसा गांव का हाल, यहां लगभग 40 से 45 दलित बस्ती के घर हैं. यहां काफी साल पहले एक सरकारी चापाकल लगा था अभी भीषण गर्मी में यह चापाकल ही पूरे 40 घरों के लिए एक सहारा बना हुआ है. पीने का पानी हो, चाहे घरेलू कोई काम या स्नान करना हो. सभी के लिए एक चापाकल ही सहारा बना है. अहले सुबह से ही इस नल पर लंबी कतार लग जाती है और गांव वाले पानी लेने के लिए कतारबद्ध रहते हैं. तपती दोपहर में भी लोग पानी के लेने के लिए नल पर लाइन लगाए रहते हैं.
ग्रामीणों ने बताया कि नल का जल योजना के तहत टंकी तो लगा है, लेकिन गांव के इस टोले में नहीं बल्कि यहां से लगभग 500 मीटर दूरी पर दूसरे टोले में लगा है. पाइप लगने के बाद भी पानी नहीं आते हैं. जहां पर टंकी लगा हुआ है वहां पर के लोगों को भी पानी नहीं मिलता है. जल योजना को पीएचईडी विभाग के तहत चलाने के लिए दिया गया है लेकिन विभाग की ओर से इसकी कोई देखरेख नहीं की जाती है कि पानी चल रहा है या नहीं चल रहा.
पटना का पचरुखिया गांव पानी के लिए बेहाल
अब सुनिए पचरुखिया गांव का हाल, इस गांव में दो वार्ड हैं. दोनों वार्ड में सरकार की योजना के तहत बड़े-बड़े टंकी और पानी के बड़े मोटर लगे हुए हैं यहां भी सभी घरों में पाइप तो बिछाया गया है, लेकिन ग्रामीणों का मुताबिक ढाई से 3 साल पहले पानी की टंकी लगे और उस वक्त से ही पानी नहीं मिल रहा है. यहां के लोग कभी इस योजना के तहत पानी नहीं पी पाए है. अब तो स्थिति यह हो गई की कई घरों में लगे नल भी टूट चुके हैं .यहां के लोगों का भी एक मात्र सहारा एक एक चापाकल है जो गांव के पूर्व मुखिया जो लगभग 22 साल पहले अपने मुखिया काल में चापाकल लगाए थे उनके दरवाजे पर यह चापाकल लगा हुआ है और पूरे गांव के लोग वहां पानी लेने के लिए आते हैं.
लोगों ने बताया कि सुबह 4:00 बजे से रात्रि 10 से 11:00 तक यह चापाकल बिजी रहता है. पानी लेने के लिए सुबह और शाम में काफी भीड़ होती है. क्योंकि बड़ी वजह ये है कि यहां पर इस चापाकल के अलावे कोई दूसरी व्यवस्था नहीं है. कुछ लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार घर में बोरिंग किए हुए हैं या अपना चापाकल लगाए हुए हैं, लेकिन जिनके पास कोई व्यवस्था नहीं है वह इस चापाकल के भरोसे ही है. कई बार अधिकारियों को भी सूचना दी गई है. बीडीओ साहब की भी जानकारी में है. पीएचईडी विभाग को भी जानकारी दी गई है, लेकिन कोई अधिकारी देखने नहीं आया है.
यह तो सिर्फ दो गांव का हाल हम बता रहे हैं. हमें बताया गया है कि ऐसे के कई गांव हैं, जहां स्थित जस की तस है. सरकारी योजना का पैसा तो खर्च हो गया है. टंकी लग गई है. मोटर भी लग गया है, लेकिन आज तक लोगों को पानी नहीं मिल पाया है. अब सरकार ने चापाकल की योजना भी खत्म कर दी है. पहले से जो चापाकल लगे हुए हैं, वही आज गांव के लोगों का सहारा बना हुआ है.
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