पटना: बिहार विधानसभा में मंगलवार को विपक्ष के अभूतपूर्व हंगामे के बाद विपक्ष की अनुपस्थिति में विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 पास हो गया. मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि यह विधयेक बिहार सैन्य बल के नाम बदलने और उन्हें और मजबूत करने वाला है. उन्होंने कहा कि बिहार अभी आंतरिक सुरक्षा के मामले में केंद्रीय सुरक्षा बलों पर निर्भर है. इस कानून के बाद सशस्त्र बल के संगठित विकास के बाद आत्मनिर्भर बनेगा.
इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधेयक के पास होने के पूर्व सदन में हुए हंगामे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सवालिया लहजे में कहा कि आखिर इस विधेयक को लेकर गलतफहमी कैसे फैल गई. उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष चर्चा में भाग लेता तो सभी सवालों का जवाब दिया जाता. उन्होंने इसे चूक बताते हुए कहा कि अधिकारियों को इसकी जानकारी प्रेस को दे दी जानी चाहिए थी. जिस दिन विधेयक पेश हुआ, उसी दिन से विरोध शुरू हो गया. उन्होंने विधानसभा में हुई घटना पर दुख जताते हुए कहा कि यहां खड़े होकर क्या-क्या करवाया गया. उन्होंने कहा कि नए विधायकों को बताया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "सशस्त्र बल को अधिकार दिया जा रहा है, इसकी भी लिमिट है. अन्य राज्यों में भी ऐसी व्यवस्था है. ये ऐसा कानून नहीं जो लोगों को कष्ट देगा, ये लोगों की रक्षा करनेवाला है."
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 के पास हो जाने के बाद पुलिस के पास मुख्यतः ये अधिकार होंगे-
1. बिना वारंट के गिरफ्तार करने की शक्ति
2. बिना वारंट के तलाशी लेने की शक्ति
3. गिरफ्तारी के बाद की जाने वाली प्रकिया
4. जघन्य अपराधियों के लिए दंड
5. न्यायालय द्वारा अपराध का संज्ञान लेने की प्रक्रिया
अब इसे विस्तार से समझें, ये बिल अगर बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में पास हो जाता है तो बिहार पुलिस के पास पूरा अधिकार होगा कि वो किसी भी शख्स को बिना वारंट के हिरासत में ले सकती है. वहीं, किसी के घर की या अन्य प्रेमिसेस की तलाशी के लिए भी वारंट की आवश्यकता नहीं होगी. वहीं, गिरफ्तारी के बाद आरोपित के साथ जो कानूनी प्रक्रिया जाती है, उसके लिए भी पुलिस स्वतंत्र होगी. जघन्य अपराध लिए दंड देने का अधिकार पुलिस के पास होगा. वहीं, सबसे महत्वपूर्ण यह कि कोर्ट किसी भी मामले में तभी दखल देगी जब पुलिस उनसे ऐसा करने को कहेगी. पुलिस को मिलने वाले इन्हीं अधिकारों का विपक्ष विरोध कर रहा है.
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