Bihar Police Constable Exam Candidate Protest: बिहार में सिपाही भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों का आंदोलन लगातार जारी है. बीते सोमवार से करीब 10 हजार अभ्यर्थी गर्दनीबाग में रात से डटे हुए हैं. आज दूसरे दिन मंगलवार को भी काफी संख्या में अभ्यर्थियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. उनके समर्थन में पटना के कई कोचिंग संचालक भी आ गए. सोमवार को कुछ देर के लिए खान सर पहुंचे थे तो रात में एसके झा पहुंचे. मंगलवार को गुरु रहमान भी छात्रों के समर्थन में दिखे.


अभ्यर्थियों ने साफ तौर पर कहा कि जब तक हम लोगों की बात नहीं मानी जाएगी तब तक हम लोग हटने वाले नहीं हैं. एबीपी लाइव बिहार से बात करते हुए अभ्यर्थियों ने अपनी समस्या सुनाई. इस दौरान उनकी आंखों से आंसू भी छलक पड़े.


छपरा के बंटी कुमार ने रोते हुए बताया, "मेरे ना तो पिताजी हैं और ना ही बड़ा भाई. घर में बूढ़ी मां और विधवा भाभी है. घरवाले एक-एक पैसे के लिए मोहताज हैं. लिखित परीक्षा में मेरा चयन हो गया तो सोचा कि अब नौकरी मिल जाएगी, लेकिन केंद्रीय चयन पर्षद की मनमानी के कारण मेरा भविष्य अंधकारमय हो गया है. मैं यहां 2000 कर्ज लेकर आया हूं. वह भी खत्म होने वाला है. किस मुंह से हम घर जाएंगे."


बक्सर की रहने वाली बबीता कुमारी ने कहा, मेरे पिता किसान हैं. मेरा सपना था कि मैं पहले जॉब करूं और उसके बाद शादी. मेरी उम्र 27 वर्ष हो चुकी है. लिखित परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद लगा कि अब सपना साकार हो जाएगा लेकिन नियमों में बदलाव के कारण फिर भविष्य अंधकार में हो गया है. इसी तरह कई और अभ्यर्थियों ने अपनी समस्या सुनाई.


धरना देने के पीछे क्या है कारण?


केंद्रीय चयन पर्षद की ओर से 21 हजार 391 पदों के लिए सिपाही भर्ती की अगस्त 2024 में परीक्षा ली गई थी. 14 नवंबर को परिणाम आया था. छात्रों का आरोप है कि जुलाई 2023 में जारी किए गए विज्ञापन में EWS (Economically Weaker Section) और NCL (Non Creamy Layer) सर्टिफिकेट की मांग नहीं की गई थी, लेकिन जब परीक्षा के परिणाम आए तो सर्टिफिकेट मांगे जा रहे हैं. 


पूर्वी चंपारण के अभ्यर्थियों ने बताया कि 1600 मीटर की दौड़ जिसके लिए हम लोग सुबह-शाम मेहनत करते आए हैं. अभी अगर ऐसा कुछ नहीं होता तो हम लोग इसके लिए तैयारी करते, सुबह में दौड़ लगाते, लेकिन हम सभी अभ्यर्थी यहां धरना देने आए हैं. अंतिम समय में अगर सरकार बात मान भी लेती है तो कई छात्र बगैर तैयारी के ही छट जाएंगे. आखिर नीतीश सरकार की पॉलिसी क्या है?


गुरु रहमान ने कहा- यह बिहार की बदकिस्मती


छात्रों के आंदोलन में डटकर जमे प्रख्यात शिक्षक गुरु रहमान ने कहा, "बिहार की बदकिस्मती है कि यहां के बाहर छात्र जाते हैं तो पिटा कर आते हैं. उन्हें परीक्षा नहीं देने दी जाती है. बिहार में जो परीक्षा होती है उन पर माफिया का कब्जा होता है. फिर भी यहां के छात्रों में वह जोश और जुनून है कि अभी भी उस नियम को वापस कर दें तो छात्र अपनी ताकत दिखाकर फिजिकल परीक्षा निकाल देंगे. लगभग 50 से 60 हजार ऐसे अभ्यर्थी हैं जिनके घर की स्थिति उतनी बेहतर नहीं है. सरकार को अविलंब इस पर ध्यान देना चाहिए."


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