पटना: कोरोना महामारी के बीच बिहार पुलिस विभाग ने बड़ा फैसला लिया है. विभाग की ओर से आदेश जारी कर कहा गया है कि बिहार पुलिस में 50 साल से ज्यादा उम्र के पुलिसकर्मियों के काम की समीक्षा होगी. सिपाही से लेकर डीएसपी रैंक तक के 50 की उम्र पूरी करने वाले पुलिसकर्मियों के कामकाज की समीक्षा मुख्यालय स्तर पर होगी. अगर वे अपने काम में दक्ष नहीं पाए जाते हैं तो उनके सेवा पर विचार किया जाएगा. ऐसे कर्मियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति की भी पहल की जाएगी. विभाग की ओर से सभी जिलों के एसपी और रेल एसपी को पत्र जारी कर ऐसे कर्मियों की सूची भेजने को कहा गया है. इसकी समीक्षा हर महीने की 9 तारीख को की जाएगी.
ऐसे में विभाग के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा, " पुलिस विभाग में सरकार के आदेश के तहत पत्र निर्गत कर के 50 वर्ष से अधिक उम्र के अनुभवी पुलिसकर्मीयो को अयोग घोषित करके सेवा से हटाने की साजिश हो रही है. इस तरह का आदेश तुगलकी आदेश की तरह है. वरीय अधिकारी इस तरह के आदेश का नाजायज इस्तेमाल करेंगे. जब दिल करेगा या उनके जरूरत की पूर्ति नहीं हो पाएगी तो वैसे स्थिति में अयोग्य साबित करके सेवा से हटा देंगे."
उन्होंने कहा, " इस तरह के आदेश से किसी भी वरीय के अधीन कार्य कर रहे कर्मी का आर्थिक और मानसिक शोषण होगा. सरकार की ओर से लिए गए निर्णय के आलोक में समादेष्टा स्तर से इस तरह 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के कर्मियों को छटनी की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है जो बिल्कुल स्वीकार्य नहीं होगा. काफी लंबी अवधि तक अपनी सेवा योग्यता , कर्मठता , अनुभव से कुशलता पूर्वक निर्वहन के बाद पदोन्नति का अवसर इस उम्र में मिलता है."
मृत्युंजय ने कहा, " इस उम्र में कर्मियों की पारिवारिक जवाबदेही काफी बढ़ जाती है. बच्ची-बच्चों की शादी, उच्च शिक्षा के साथ बहुत सारी परिवारिक जिम्मेदारी रहती है. इस तरह के कार्रवाई से सभी स्तर के कर्मियों में काफी आक्रोश और भय का माहौल है. अगर इस तरह कर्मचारियों के साथ अन्याय होगा तो वे मानसिक पीड़ा से विचलित होकर आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाएंगे."
ऐसे में राज्य सरकार और पुलिस मुख्यालय से आगाह पूर्वक मांग करता हूं कि पुलिस विभाग में इस तरह की कार्रवाई पर अविलंब अंकुश लगाया जाए, नहीं तो इसका हर स्तर पर विरोध प्रतिकार करने का दबाव मांग बिहार में उठ रहा है. इस तरह का आदेश को तत्काल निरस्त किया जाए. इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बिहार के लगभग सारे कर्मचारी इस आदेश से चिंतित और आक्रोशित हैं.