पटना: बिहार में कल तक एनडीए (NDA) गठबंधन के दम पर सरकार चल रही थी लेकिन आज से तस्वीर बदल गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने बीजेपी (BJP) से नाता तोड़ लिया है. उन्होंने इस्तीफा दिया और अब महागठबंधन के साथ बिहार में सरकार बनाने जा रहे हैं. इस महागठबंधन में भी वो मुख्यमंत्री रहेंगे जबकि तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) बिहार के उप मुख्यमंत्री होंगे. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार ने पाला बदला है. इसके पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है.


बीजेपी से अलग होने के पीछे इन चीजों को भी समझें


साल 2017


जब नीतीश ने रातों रात मोदी से हाथ मिला लिया था तब जेडीयू के पास 73 विधायक थे और बीजेपी के पास 51. उस वक्त बीजेपी बिहार में छोटे भाई की भूमिका में थी. 2020 के चुनाव में जेडीयू 43 सीट पर सिमट गई जबकि बीजेपी के पास 77 सीटें आ गईं. अब बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में आ गई. मसलन दो डिप्टी सीएम, स्पीकर, ज्यादा मंत्री और विभाग बीजेपी के खाते में है. मुकेश सहनी का विभाग भी बीजेपी के पास ही है.



साल 2019


2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नीतीश को उम्मीद थी कि बीजेपी केंद्र में जेडीयू को कम से कम दो मंत्रीपद देगी लेकिन एक मंत्रीपद का ऑफर मिला जिसे नीतीश ने ठुकरा दिया था.


साल 2020


2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने जेडीयू के सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार कर नीतीश को जबरदस्त झटका दिया था. चिराग खुद एक ही सीट जीत पाए थे लेकिन नीतीश की नींव हिला दी. अब राष्ट्रपति चुनाव के बहाने चिराग एनडीए के करीब आ रहे हैं और यह बात नीतीश को खटक रही थी.


अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी ने जेडीयू के सभी विधायकों को अपने साथ मिला लिया लेकिन किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया.


जाति आधारित जनगणना और विशेष राज्य का मुद्दा


दूसरी ओर जाति आधारित जनगणना हो या बिहार को विशेष राज्य का दर्जा इन मुद्दों पर बीजेपी के साथ मतभेद रहा है. वहीं बिहार के मुस्लिम बहुल इलाकों के स्कूलों में शुक्रवार की छुट्टी भी बीजेपी और जेडीयू के बीच विवाद को जन्म दे रहा था. 


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