Bihar Political News: महागठबंधन से अलग होकर लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने महागठबंधन खासकर लालू यादव को बड़ा झटका दिया है. आरजेडी हमलावर है. इस बीच आरजेडी के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार 8 अगस्त 2022 को अपने सभी विधायकों के साथ पैदल चल कर राबड़ी आवास पहुंचे थे. वहां उन्होंने 2017 में गठबंधन तोड़ कर बीजेपी में चले जाने के लिए हाथ जोड़कर राबड़ी देवी से माफ़ मांगी थी. महागठबंधन के तमाम नेताओं के बीच अपने भाषण में उन्होंने वही सबकुछ कहा था जो आज कह रहे हैं. उस समय रोना रो रहे थे कि बीजेपी के लोग काम नहीं करने दे रहे थे. हमेशा टकराव की बात कर रहे थे.


शिवानंद तिवारी ने कहा, "नीतीश कुमार द्वारा अचानक महा गठबंधन छोड़कर पुनः बीजेपी के साथ सरकार बनाने की घोषणा से देश हतप्रभ है. लोग जानना चाहते हैं कि 2022 में आपने अचानक बीजेपी वाले गठबंधन को क्यों छोड़ दिया था और महा गठबंधन में कैसे शामिल हो गए थे. महागठबंधन की ओर से किसी ने एक अणे मार्ग में जाकर इस गठबंधन में शामिल होने के लिए इनको न्योता देने गया था क्या? सबको स्मरण होगा कि 2020 के विधानसभा चुनाव के अभियान की शुरुआत करते हुए तेजस्वी यादव ने घोषणा की थी कि हमारी सरकार बनेगी तो हम दस लाख युवाओं को नौकरी देंगे. यह राजद के चुनाव घोषणा पत्र में शामिल है. उसके जवाब में नीतीश कुमार ने क्या कहा था? दस लाख नौकरियों के लिए पैसा कहां से लाओगे? बाबूजी जिस कमाई के लिए अंदर वहां से लाओगे! इसको कोई समझ नहीं है!"


आरजेडी नेता ने कही ये बात


आरजेडी नेता ने कहा, "वही नीतीश कुमार जिन्होंने तेजस्वी के दस लाख युवाओं को नौकरी देने की घोषणा पर कहा था कि इनको तनख़्वाह देने के लिए पैसा कहां से लाओगे! 9 अगस्त को तेजस्वी ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया और 15 अगस्त को उन्हीं नीतीश कुमार ने गांधी मैदान के मंच से घोषणा की कि दस लाख युवाओं को महा ठबंधन की हमारी सरकार नौकरी तो देगी ही, हम दस लाख रोज़गार का सृजन भी करेंगे. नीतीश किसके एजेंडे की घोषणा कर रहे थे? राजनीति के पुरानी पीढ़ी के नीतीश कुमार ने युवा तेजस्वी के एजेंडे को न सिर्फ़ क़ुबूल किया बल्कि उसको आगे बढ़ाया. तेजस्वी भविष्य हैं, नीतीश अतीत हैं. पंद्रह अगस्त के अपने भाषण के ज़रिए सीएम नीतीश ने स्वयं इस पर मुहर लगाई."


शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी यादव को लेकर दिया बड़ा बयान


इसके साथ ही शिवानंद तिवारी ने कहा, "महागठबंधन के संपूर्ण कार्यकाल में तेजस्वी यादव ने जिस प्रकार का आचरण किया है इसको सम्पूर्ण देश ने देखा है. ज़रूरत से ज़्यादा दब कर तेजस्वी रहे. ताकि नीतीश कुमार को शिकायत का तनिक भी मौक़ा नहीं मिले. यहां तक कि अख़बारों के पहले पन्ने पर मुख्यमंत्री के आदम क़द तस्वीर के साथ स्वास्थ्य विभाग का विज्ञापन छपता था. उसमें, तेजस्वी जो स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी मंत्री भी हैं, उनकी छोटी तस्वीर भी नहीं रहती थी. लेकिन तेजस्वी ने इस सबको अनदेखा किया.


उन्होंने आगे कहा,  'आज नीतीश कह रहे हैं कि राजद के साथ काम करने में परेशानी हो रही थी. हम काम कर रहे थे. लेकिन वे लोग काम नहीं कर रहे थे. इसको निर्गुण प्रलाप के अलावा क्या कहा जाएगा? वाक़ई अगर ऐसी कोई शिकायत थी तो इस सिलसिले में नीतीश कुमार ने कभी लालू यादव से शिकायत की? महागठबंधन से निकलने और बीजेपी के साथ पुनः जाने का जो कारण नीतीश बता रहे हैं वह सरासर झूठ है. बीजेपी से अलग होने के बाद बिहार विधानसभा सभा में इन्होंने क्या घोषणा की थी मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा. ऐसे संकल्पों का कई नमूना गूगल में खोजने पर मिल जाएगा. बीजेपी का अदना से अदना कार्यकर्ता तक कह चुका है कि नीतीश कुमार के लिए बीजेपी का दरवाज़ा बंद हो चुका है. इन सबके बावजूद नीतीश कुमार जैसा स्वाभिमानहीन व्यक्ति ही पुनः वहाँ जाने की बात सोच सकता है. स्वाभिमानहीन आदमी को क्या आदमी कहा जा सकता है."


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