(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bihar Politics: 2020 में JDU के लिए चिराग बने कांटा तो इस बार PK! RJD के लिए भी मुश्किल, एक्सपर्ट ने किए ये खुलासे
Prashant Kishor: 2025 का चुनाव जाति आधारित हो पाएगा ये संभव नहीं है, क्योंकि इस बार एनडीए गठबंधन और इंडिया गठबंधन से हटकर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी चुनावी मैदान में रहेगी.
Patna News: ऐसा माना जाता है कि बिहार में जाति आधारित चुनाव होते हैं और बिहार के नेता जात विरादरी के नैया पर सवार होकर चुनावी नदी को पार कर लेते हैं. पिछले 35 वर्षों का रिकार्ड देखा जाए तो 1990 से लेकर 2005 तक लालू-राबड़ी की सरकार में जाति आधारित चुनाव होते रहे और जाति के बल पर लालू-राबड़ी 15 साल सत्ता में बन रहे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी 2005 से पिछड़ा अति पिछड़ा और फॉरवर्ड वोटो को एकजुट करके सत्ता पर कब्जा जमाए हुए हैं, लेकिन आगामी 2025 का चुनाव भी क्या जाति आधारित होगा?
पीके नीतीश और तेजस्वी के लिए बड़ी चुनौती
कहा जा रहा है कि यह 2025 का चुनाव जाति आधारित हो पाएगा ये संभव नहीं है, क्योंकि इस बार एनडीए गठबंधन और इंडिया गठबंधन से हटकर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी चुनावी मैदान में रहेगी. 2 अक्टूबर 2024 को अपनी पार्टी का गठन करने के बाद प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि बिहार के सभी 243 सीटों में से कम से कम वह 200 सीट जीतेंगे. अब ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए या तेजस्वी यादव के लिए कितनी बड़ी चुनौती होगी यह तो समय की बात है, लेकिन राजनीति जानकारी की माने तो प्रशांत किशोर को हल्के में नहीं लिया जा सकता और एनडीए गठबंधन और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए पीके बड़ी मुसीबत बन सकते हैं.
राजनीति विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडे ने कहा कि यह बात सही है कि बिहार में जाति आधारित चुनाव होते रहे हैं, लेकिन अभी जो ताजा राजनीति हालत बिहार के हैं, उससे यह दिख रहा है कि प्रशांत किशोर जेडीयू और आरजेडी दोनों के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं. प्रशांत किशोर जिस तरह से अभी सुर्खियों में रहे हैं और यह बरकरार रहा तो कहीं ना कहीं आरजेडी तीसरे नंबर की पार्टी बन सकती है और मुकाबला जन सुराज और एनडीए के बीच हो सकता है. लेकिन प्रशांत किशोर जिस तरह से दावा कर रहे हैं और उनका दावा कितना सही है. वह 25 के चुनाव के पहले सेमी फाइनल के रूप में होने वाले बिहार के चार उपचुनाव में ही दिख जाएगा, क्योंकि लोकसभा में खाली हुई चार सीटों पर उपचुनाव होने है.
उपचुनाव में चार सीटों पर प्रशांत किशोर अपने प्रत्याशी को खड़ा करेंगे. उनकी पार्टी कितनी सीट जीतती है या कितने वोट लाते हैं, इससे पता लग जाएगा कि उनका दावा क्या वाकई बिहार में बदलाव लाएगा. उन्होंने कहा कि अभी तक जो दिख रहा है उससे प्रशांत किशोर के दावे को असंभव भी नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि बहुत सारे फैक्टर हैं. बिहार की जनता ने लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सरकार को भी देखा है. अब 20 सालों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्ता में बने हुए हैं. जनता अब तीसरा विकल्प अगर ढूंढती है तो निश्चित तौर पर प्रशांत किशोर को फायदा होगा, लेकिन कितना फायदा होगा यह कहना मुश्किल है, क्योंकि इस बार एनडीए भी काफी मजबूत स्थिति में दिख रहा है.
जातीय समीकरण पूरी तरह से खत्म नहीं हो सकता
बिहार में जातीय समीकरण पूरी तरह से खत्म नहीं हो सकता है. दिल्ली और में पंजाब में बदलाव हुए लेकिन वह स्थिति बिहार में पूरी तरह नहीं दिख सकती है. जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान जो पिछले बार एनडीए से अलग थे अब यह सभी साथ में है. नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए चुनाव लड़ेगी. नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने की चाहत रख रहे हैं, लेकिन जनता का मूड इस बार नीतीश कुमार के पक्ष में नहीं है. नीतीश का एंटी कम्बेंसी वोट नुकसान पहुंच सकता है. क्योंकि नीतीश कुमार की हाल की दिनों में हरकतें और उनकी खराब स्वास्थ जनता से छुपी हुई नहीं है.
अरुण पांडे ने कहा कि प्रशांत किशोर जिस तरह से 2 साल पूरे बिहार का भ्रमण किया है और अपनी पार्टी बनाया है और जिस तरह से उनके सभा में भीड़ उमड़ रही है, इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगामी 2025 के चुनाव में आरजेडी की मुश्किल ज्यादा खड़ी हो सकती है, क्योंकि आरजेडी का मुस्लिम और यादव मुख्य वोट बैंक है. प्रशांत किशोर ने 40 मुस्लिम को टिकट देने का घोषणा किया है जो अभी तक किसी एक पार्टी ने नहीं किया था उसके अलावा जब उन्होंने पटना में मुस्लिम की सभा किया तो लगभग 5000 से ज्यादा मुस्लिम की भीड़ जुटी थी. यह दर्शाता है कि कहीं ना कहीं आरजेडी के वोट बैंक में सेंधमारी प्रशांत किशोर करेंगे.
चार सीटों पर उपचुनाव के बाद तस्वीर होगी साफ
पिछली बार अगर 80 सीट आरजेडी को आई थी तो उसमें चिराग पासवान का बहुत बड़ा रोल रहा था. इस बार चिराग पासवान एनडीए के साथ हैं. ऐसे में कयास के लगाया जा सकता है कि आरजेडी तीसरे नंबर पर जा सकती है और मुकाबला एनडीए और प्रशांत किशोर के बीच हो सकता है, लेकिन यह सब चार सीटों पर उपचुनाव के बाद ही तय किया जा सकता है.
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