Bihar Political Journey In 2024: साल 2024 की विदाई होने वाली है और 8 दिनों बाद हम लोग नए साल 2025 में प्रवेश कर जाएंगे. 2024 में बिहार की राजनीति किस कदर नेताओं पर हावी रही और राजनेताओं के बोल कैसे-कैसे रहे. इस पर अगर नजर डालें तो दिग्गज नेताओं के कारनामे सुर्खियों में रहे तो कई बड़े नेताओं के विवादित बयान से बिहार की राजनीति गरमाई. आईए आपको बताते हैं, 2024 के वे राजनीतिक पल और नेताओं के बयान.


चर्चा में रहे और पक्ष और विपक्ष के राजनीतिक बयान


सबसे पहले बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की करें तो इंडिया गठबंधन को एकजुट करने की मुहिम लेकर चलने वाले नीतीश कुमार अचानक 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले फरवरी महीने में फिर से एनडीए के साथ हो गए. इसके बाद जमकर सभी पार्टियों की राजनीति बयानबाजी शुरू हुई और विधायकों की अदला बदली भी हुई. इसके बाद विधानसभा सत्र के दौरान तेजस्वी यादव ने सदन में नीतीश कुमार को कहा था कि कम से कम एक बार तो बता देते कि हम नहीं रहना चाहते हैं. इस बार तो आपने कुछ कहा भी नहीं, बुलाकर बोल देना चाहिए था, आप बताइए हम आपको कुछ कहे हैं क्या? कितना अच्छा हम लोग बातचीत करते थे, हर चीज करते थे, लेकिन अब चलिए ठीक है अच्छे पल को तो हम जिंदगी भर याद करेंगे संजोग कर रखेंगे.


हालांकि हाल ही में 21 दिसम्बर को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अब थक गए है, वे कुछ नहीं बोलते हैं, विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी सीएम कुछ नहीं बोले.


2024 में नीतीश कुमार के कारनामे भी काफी चर्चा में रहे और विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा मिलता रहा. 3 नवंबर 2024 का चित्रगुप्त पूजा के मौके पर पहुंचे नीतीश कुमार ने पूर्व राज्यसभ सांसद आर के सिंह का पैर छू लिए, जो सुर्खियां बन गईं थी. उससे पहले लोकसभा चुनाव के वक्त सीएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पैर छू लिए थे तो एक बार सरकारी कार्यक्रम में इंजीनियर के भी उन्होंने पैर छू लिया थे, सीएम के पैर छूने की चर्चा पर बिहार की राजनीतिक काफी गर्म रही और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कह दिया था कि उनकी आदत है.


अब बात करते हैं नेताओं के उन विवादित बयानों की जो नहीं बोलना चाहिए लेकिन नेताओं की जुबान फिसल ही जाती है. इसमें भी सबसे पहले बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की करें तो लोकसभा चुनाव के दौरान 7 अप्रैल 2024 को उनकी जुबान फिसल गई और उन्होंने नवादा में पीएम मोदी की रैली में भूलवश कह दिया कि एनडीए 4, 000 से अधिक सीटें जीतेगा, जो लोकसभा की स्वीकृत संख्या से कई गुना अधिक है. यह बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ तो विपक्षी दल के नेताओं ने भी खूब मजाकिया बयान दिए थे.


नीतीश कुमार के बाद बात करें आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तो उनके बयान से तो लोग स्तब्ध रह गए. 10 दिसंबर 2024 को लालू यादव से पटना में पत्रकारों ने नीतीश कुमार की यात्रा पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा- अच्छा है जा रहे हैं तो. नैन सेंकने जा रहे हैं. पत्रकारों ने फिर 2025 के विधानसभा चुनाव में (एनडीए) के जरिए 225 सीट जीतने के दावा पर पूछा था तो इस पर लालू यादव ने पहले कही बात दोहरा दी और कहा- “अरे पहले आंख सेंके ना अपना जा रहे हैं आंख सेंकने”


विवादित बयान देने में अव्वल रहे बीजेपी के नेता


विवादित बयानों में बीजेपी के नेता तो अव्वल रहे. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने तो राजनीति को कोठे तक पहुंचा दिया. दरअसल जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सितंबर महीने में बयान दिया कि हमारी सरकार आएगी तो सबसे पहले काम बिहार में शराबबंदी को खत्म करने का होगा. इसके बाद अक्टूबर महीने में छपरा और सिवान में जहरीली शराब से मौत होने लगी. इस पर 18 अक्टूबर को दिलीप जायसवाल ने एक कार्यक्रम के दौरान भरे मंच से बगैर किसी का नाम लिए हुए कहा था कि जो लोग शराब बेच कर राजस्व की बात करते हैं, उनका नैतिक पतन हो गया है. ऐसे तो कोठे पर जाकर भी बहुत लोग कमाई करते हैं, तो क्या हम समाज के संस्कार को बिगाड़ कर कमाई की बात सोचें? क्या हम आने वाले भविष्य की जिंदगी बर्बाद करके बिहार के विकास की बात सोचें?


विवादित बयान में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी पीछे नहीं रहे. उन्होंने तो पिता और पुत्री के रिश्ते पर भी हमला कर दिया. लोकसभा चुनाव के वक्त 22 मार्च 2024 को सम्राट चौधरी ने लालू प्रसाद यादव की लाडली बेटी रोहिणी आचार्य को आरजेडी से टिकट देने पर हमला बोला था कि लालू यादव टिकट बेचने में माहिर खिलाड़ी हैं. अब तो उन्होंने अपनी बेटी को भी नहीं छोड़ा. लालू ने पहले अपनी बेटी से किडनी ली तब जाकर उन्हें टिकट दिया. इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में खूब खलबली मची थी. आरजेडी और कांग्रेस ने जमकर हमले किए थे और पिता-पुत्री के रिश्ते का अपमान करना बताया था.


वहीं विवादित बयान देने में बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता विजय कुमार सिन्हा भी पीछे नहीं हैं .उन्होंने आरजेडी को रक्षक बना दिया था. 5 सितंबर को विजय कुमार सिन्हा ने  कहा था  आरजेडी एक संस्कृति है जो अराजकता, भय और समाज के अंदर उन्माद पैदा करती है. इनके गमछा और मुरेठा को देखते ही लोग इनकी पहचान कर लेते हैं. पहले असुरों के सींग होते थे, दांत निकले होते थे तो पहचान में आते थे. अब धीरे-धीरे सृष्टि में बदलाव के बाद सींग भी गायब हो गया और दांत भी गायब हो गया, जो असुर प्रवृत्ति के अराजकता उत्पन्न करने वाले गरीबों को, दलितों को, शोषितों को, पिछड़ों को सताने वाले और समाज को लूट कर अकूत संपत्ति जमा कर अपने परिवार की जमींदारी चलाने वाले हैं, वो चेहरा छुपाना चाहते हैं.


जुबानी हमले में लोजपा (रामविलास) सुप्रीमो चिराग पासवान भी पीछे नहीं रहे हैं. उन्होंने अपने गठबंधन के नेताओं पर बयानबाजी करके खूब सुर्खियां बटोरी और कई दिनों तक राजनीति को गर्मा दिया था. 26 सितंबर 2024 को चिराग पासवान ने बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन पर हमला करते हुए कहा था वो (आनंद मोहन) सक्रिय राजनीति से नहीं जुड़े हुए हैं. उनकी बात पर किसी तरह की प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं है. हालांकि, उनके परिवार के कई सदस्य सक्रिय राजनीति में हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कृपा पर वे जेल से बाहर आए हैं. संगीन आरोपों की वजह से वे जेल में थे. अब उसी समाज (दलित) के लोगों पर फिर से वे उंगली उठा रहे हैं. चिराग के इस बयान से जातीय राजनीति भी कुछ दिनों तक हो गई थी.


केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी नहीं रहे पीछे


जातीय राजनीति की बात आई तो हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी भी बयानबाजी में पीछे नहीं रहे. उन्होंने लालू प्रसाद यादव की बिरादरी पर हमला करते हुए विवादित बयान दे दिया था. जितन राम मांझी ने 25 सितंबर को तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा था 'वो लोग नहीं पढ़े हैं. मेरा बेटा पीएचडी है, और प्रोफेसर है. हम भी बीए ऑनर्स किए हैं. उनकी डिग्री क्या है वो बताएं? दूसरी बात यह है कि अगर वो (तेजस्वी) हमको शर्मा कहते हैं तो वो अपने पिताजी के बारे में बताएं कि उनके पिताजी जी किसके जन्मे हुए हैं. गड़ेरिया के जन्मे हुए हैं, वो गड़ेरिया हैं यादव नहीं. मांझी के बयान के बाद काफी दिनों तक आरजेडी नेता हमला करते रहे थे.


बहरहाल बिहार की राजनीति में बयानबाजी और सख्त हमले एक दूसरे पर होने आम बात हैं. अब 2025 का चुनाव भी आने वाला है. उस दौरान राजनीति का स्तर क्या होगा?, ये देखने वाली बात होगी. वैसे बिहार में जनता राजनीति को बहुत अच्छे तरीके से समझती है. इस बात की तारीफ राज्यपाल विश्वनाथ अर्लेकर भी कर चुके हैं. एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि बिहार के लोगों को राजनीति अच्छी समझ आती है. 


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