पटना2024 में लोकसभा चुनाव होना है लेकिन अलग-अलग पार्टियों के नेता तैयारी में जुट गए हैं. पार्टी का प्लान भी शुरू है कि किस तरह इसके लिए तैयारी की जाए. बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में इन दिनों पिछड़ा और अति पिछड़ों की राजनीति जोरों पर हो गई है. सभी पार्टियां पिछड़ा और अति पिछड़ों की नाव पर सवार होकर लोकसभा चुनाव को पार करना चाहती हैं. मोहन भागवत के एक बयान से बिहार में सियासत तेज हो गई है.


बता दें कि बिहार में इन दिनों जाति आधारित गणना चल रही है. इस गणना से नीतीश और लालू दोनों को लगता है कि बिहार में पिछड़ी आबादी 50 से 52 फीसद के बीच है. अगर जाति जनगणना में ओबीसी की आबादी 40, 45 या 50 फीसद हुई तो बिहार में पिछड़ा आरक्षण 27 फीसद से बढ़ाने की राजनीति शुरू होगी. ऐसे में बीजेपी के लिए मुसीबत खड़ी होगी और इसका पूरा फायदा महागठबंधन को मिलेगा. कहा जा रहा है कि बिहार में जातीय जनगणना 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी को देखते हुए सोची-समझी रणनीति के तहत हो रहा है.


मुंबई में मोहन भागवत ने दिया बयान


बीजेपी रणनीति को समझ रही है. यही कारण है कि बिहार में जब जाति आधारित गणना की बैठक हुई थी तो उस समय वह सरकार में थी और नहीं चाहते हुए भी समर्थन करना पड़ा था. अब जब बिहार के कई मंत्री और नेता ओबीसी को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं तो आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी ओबीसी वोटरों को अपने पक्ष में करने का बयान देकर विरोधियों के मंसूबों को फेल करने में जुट गए. मोहन भागवत ने रविवार को मुंबई में संत रविदास की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि समाज में बंटवारे का फायदा दूसरों ने उठाया. बाहरी देशों से आए लोगों ने यहां पर राज किया. अगर समाज संगठित होता तो कोई आंख न उठा पाता.


मोहन भागवत ने यह भी कहा था कि क्या हिंदू समाज के नष्ट होने का भय है. इस सवाल का जवाब कोई पंडित या ब्राह्मण नहीं दे सकता है. इसे आपको खुद महसूस करना होगा. जब हर काम समाज के लिए है तो फिर ऊंच-नीच की बात कैसे हो सकती है. भगवान की नजर में सब बराबर है. कोई जाति-वर्ण में नहीं बंटा है, लेकिन श्रेणियां पंडितों ने बनाई है. आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि संत रविदास और बाबा साहेब आंबेडकर ने समाज में समता के लिए काम किया है.


देश में ओबीसी पॉलिटिक्स शुरू: कांग्रेस


बिहार प्रदेश के कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा कि देश में एक बार फिर ओबीसी पॉलिटिक्स जोर मार रहा है. जिस तरह से बिहार के शिक्षा मंत्री का बयान आया या इस तरह के अलग-अलग जो बयान आ रहे हैं ये कोई धर्म सुधार आंदोलन नहीं हो रहा है. यह ऐसा इसलिए हो रहा है कि ओबीसी वोट को गोलबंद किया जा सके. ऐसे में बीजेपी पीछे न रह जाए इसलिए आरएसएस से यह बयान दिलवाया गया है. मोहन भागवत बीजेपी के टूल किट हैं जिनका काम है समाज में  जहर बोना.


आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि देश संविधान से चलता है न कि मोहन भागवत के बयान से. यह लोग जाति की बात करके नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं जिसे जनता देख रही है. जनता उनके झांसे में नहीं आने वाली है.


जनता दल युनाइटेड के प्रवक्ता सह विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में लिखा है कि मनुष्य के गुण और कर्म जाति के आधार पर बांटे गए हैं. मोहन भागवत इस तरह का बयान देकर समाज मे जहर बोने का काम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक के रिकॉर्ड में देखा गया है कि बिहार में जब-जब लोकसभा या विधानसभा का चुनाव हुआ है तो जाति के आधार पर ही वोटिंग होती रही है.


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