पटनाः शराबबंदी कानून को लेकर सूबे में सियासत जारी है. एक तरफ सत्ताधारी दल बीजेपी के विधायक सवाल उठा रहे हैं तो वहीं आरजेडी के प्रधान महासचिव आलोक मेहता (Alok Mehta) ने शराबबंदी पर बड़ा बयान दिया है. गुरुवार को आलोक मेहता ने कहा कि सरकार में शामिल बीजेपी के विधायक लगातार शराबबंदी कानून को लेकर नाराज चल रहे हैं तो ऐसे में बीजेपी (BJP) को सरकार से समर्थन वापस लेकर बाहर आ जाना चाहिए. अगर वो इस कानून का विरोध करते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना चाहिए.


आरजेडी नेता ने कहा कि सारा बॉर्डर सील करने का दावा किया जा रहा है. ये चीज पहले भी करते थे, लेकिन हर जगह शराब मिल रही है और बॉर्डर पर एंट्री हो रही है. अभी कोई शराब पीकर घूम रहा है तो उसको पकड़ा जा रहा है, लेकिन सप्लाई वाले को पकड़ा नहीं जा रहा है. सरकार अपनी विफलता को छुपाने के लिए अनर्गल बयान दे रही है. असल बात ये है कि सरकार शराबबंदी को लेकर विफल है. कितने क्लिप जारी हुए, उसमें एनडीए कई क्लिप के थे.


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आलोक मेहता ने कहा कि जिस सरकार ने पूरे बिहार में शराब की बिक्री का विस्तार किया. युवाओं में शराब की लत लगाई, साढ़े सात हजार पंचायतों में 15 हजार शराब की दुकानें खुलीं और वह सरकार कहे कि वह गांधी है और गांधीवादी हैं तो यह विडंबना है. उन्होंने कहा कि सरकार में इच्छाशक्ति की कमी है.


शराबबंदी को लेकर बीजेपी उठा रही सवाल


बता दें कि बीते मंगलवार को ही बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा था कि पुलिस मिली हुई है, वो शराब बिकवा रही है. पुलिस अगर चाह ले तो पत्ता भी नहीं हिलेगा. इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहा कि जिस तरह से कृषि कानून वापस लिया गया ठीक उसी तरह से शराबबंदी कानून को भी वापस लिया जाए. बचौल के बाद बीजेपी के विधायक कुंदन सिंह ने भी सवाल उठा दिया है.  



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