पटना: एआईएमआईएम (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) के एनआरसी (NRC) को लेकर दिए गए बयान पर बिहार बीजेपी ( Bihar BJP) ने प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, " मोहम्मद असदुद्दीन ओवैसी एनआरसी का नाम लेकर मुसलमानों को भड़काना चाहते हैं. उनको समझ की कमी है. ये सिर्फ कांग्रेस-आरजेडी (Congress-RJD) की तर्ज पर मुसलमानों की भावनाओं को भड़का कर राजनीति करना चाहते हैं. उनको लगता है कि एनआरसी के नाम पर राजनीति करने से वो मुसलमानों की भावना को आसानी से भड़का सकते हैं. किसी भी देश में कोई भी व्यक्ति बिना पासपोर्ट और वीजा के रह नहीं सकता है, जिनको राजनीतिक आश्रय या शरणार्थी का दर्जा नहीं मिला हो, उसके अलावा बाहर से आए लोग अवैध निवासी ही माने जाएंगे."
अवैध निवासियों की सूची रखती है
उन्होंने कहा, " यह सिर्फ भारत की ही बात नहीं बल्कि किसी भी देश की बात है. क्या पाकिस्तान, चीन, रूस या अमेरिका ऐसे अवैध लोगों को प्रश्रय देते हैं? हर देश अपने देश में रह रहे अवैध निवासियों की सूची रखती है. निश्चित तौर पर भारत सरकार को भी ऐसे निवासियों की सूची बनानी चाहिए जो इस देश में बिना वीजा, बिना पासपोर्ट, बिना किसी राजनीतिक संरक्षण आश्रय या फिर शरणार्थी का दर्जा दिए रह रहे हैं."
बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, " भारत में संघीय व्यवस्था है और जिस बात पर असदुद्दीन ओवैसी अन्यथा का बयान देकर मुसलमानों की भावनाएं भड़का रहे हैं, वह एक सामान्य पुलिस प्रक्रिया है. यह बात किसी से नहीं छुपी है कि बिहार के सीमांचल इलाके किशनगंज, कटिहार, अररिया आदि जिलों सहित कई अन्य जगहों पर बड़ी संख्या में अवैध निवासी प्रवास कर रहे हैं. ऐसे निवासियों की सूची सरकार को निश्चित तौर पर बनानी चाहिए. असादुद्दीन ओवैसी एनआरसी का नाम लेकर बयानबाजी ना करें क्योंकि यह कानून फिलहाल देश में लागू नहीं है."
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बीते दिनों पटना हाईकोर्ट ने बिहार में घुसपैठियों को चिन्हित करने और डिटेंशन सेंटर बनाए जाने को लेकर आदेश दिया है. कोर्ट के आदेश को लेकर बिहार सरकार ने राज्य में घुसपैठियों के पहचान की प्रक्रिया शुरू की है. असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार के इसी कदम पर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि बिहार सरकार (Bihar Government) बैक डोर से एनआरसी-सीएए (CAA-NRC) लागू करना चाहती है. उनके इसी बयान पर विवाद जारी है.
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