(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bihar Politics: चिराग पासवान के 'साथी' सौरभ पांडेय ने तोड़ी चुप्पी, पशुपति पारस को लिखा पत्र, खोला ये बड़ा राज
सौरभ पांडेय ने कहा, " पिता के मृत्यु के बाद चिराग बिलकुल अकेले हो गए थे. ऐसे में एक भाई और दोस्त के नाते उनका मार्गदर्शन करना मेरी ज़िम्मेदारी थी."
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एलजेपी (LJP) की करारी हार का ठीकरा जमुई सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) के दोस्त सौरभ पांडेय पर फूटा था. कोई और नहीं बल्कि चिराग के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने ही ये आरोप लगाया था कि सौरभ ने एनडीए द्वारा 15 सीट मिलने पर दबाव डाल कर चिराग को अकेले लड़ने को कहा था, उकसाया था. यही नहीं पारस इससे पहले भी कई बार सौरभ पर आरोप लगा चुके हैं. ऐसे में अब सौरभ पांडेय ने केंद्रीय मंत्री पारस को पत्र के माध्यम से जवाब दिया है.
बिहार फर्स्ट के मूल में भारत फर्स्ट
दिवंगत नेता राम विलास पासवान की बरसी के बाद सौरभ ने बीते बिहार इलेक्शन पर चुप्पी तोड़ी है. केंद्रीय मंत्री पारस को लिखे अपने पत्र में सौरभ ने कई बातें बताई हैं. उन्होंने कहा, " मैंने बिहार को ना सिर्फ अपनी आखों से बल्कि राम विलास पासवान की भी आखों से देखा है. बिहार फर्स्ट के मूल में भारत फर्स्ट छिपा हुआ है. सब कुछ देखने और समझने के बाद ही मैंने बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट डॉक्यूमेंट तैयार किया था, जिसे 14 अप्रैल, 2020 को गांधी मैदान में प्रस्तावित रैली में रामविलास पासवान के हाथों से जारी किया जाना था. लेकिन कोरोना के वजह से लगे लॉकडाउन के कारण कार्यक्रम स्थगित हो गया."
गठबंधन से बिहार को कोई लाभ नहीं
उन्होंने कहा, " बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के कारण चिराग पासवान ने कोई समझौता नहीं किया. ना ही केंद्र में मंत्री बनने की परवाह की. हमें पहली बार जो वोट मिला वह हमारी सोच पर मिला ना कि किसी के साथ गठबंधन होने के कारण. मैं इस बात को मानता हूं कि बिहार विधानसभा चुनाव में जो गठबंधन हुए वह मात्र खुद जीतने के लिए हुए, उन गठबंधनों के बनने से बिहार को कोई लाभ नहीं हुआ."
सौरभ पांडेय ने बताया, " रामविलास पासवान अक्सर मुझसे कहा करते थे कि एमपी, एमएलए हजारों होते हैं, लेकिन नेता कोई-कोई होता है. मुझे खुशी है कि उनका बेटा आज नेताओं की श्रेणी में आ रहा है." उन्होंने बताया कि पारस कृष्णा राज को बीजेपी से लड़ाना चाहते थे. ताकि वो सुरक्षित जीत हासिल कर सकें. लेकिन इसपर हमने कहा था कि आप चिराग पासवान से बात कर लें. इसी बात पर उनसे मेरा विवाद हुआ था."
चिराग अब भी करते हैं इज्जत
उन्होंने कहा, " एनडीए द्वारा 15 सीट देने की बात पारस को बताई गई थी और उन्होंने भी 15 सीट को अस्वीकार किया था. ये बात पार्टी के रिकॉर्ड में हैं. 15 सीट पर लड़कर क्या बिहार फर्स्ट बिहारी, फर्स्ट की बलि चढ़ा देनी चाहिए थी? क्या यह उचित होता? चिराग पासवान अपने चाचा पारस का सम्मान अपने पिता से कम नहीं करते हैं. उनकी माता के भी मुंह से भी मैंने हमेशा पारस के लिए अच्छा सुना है."
सौरभ पांडेय ने कहा, " पिता के मृत्यु के बाद चिराग बिलकुल अकेले हो गए थे. ऐसे में एक भाई और दोस्त के नाते उनका मार्गदर्शन करना मेरी ज़िम्मेदारी थी. मजबूत प्रत्याशियों और नेता के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं व बिहार फ़र्स्ट सोच के कारण आशीर्वाद यात्रा सफल रही."
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