पटना: लोजपा रामविलास (LJP Ramvilas) के अध्यक्ष एवं सांसद चिराग पासवान की (Chirag Paswan) लगता है एनडीए (NDA) में वापसी हो गई है. बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जयसवाल (Sanjay Jaiswal) ने गुरुवार को एलान किया है कि मोकामा और गोपालगंज विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में चिराग पासवान बीजेपी के लिए प्रचार करेंगे. 31 अक्टूबर को चिराग मोकामा और एक नवंबर को चिराग गोपालगंज जाएंगे. दोनों सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ रही है. तीन नवंबर को दोनों सीटों पर वोटिंग होगी और छह को नतीजे आएंगे.


मोकामा से बीजेपी की प्रत्याशी सोनम देवी हैं जबकि गोपालगंज में बीजेपी की प्रत्याशी कुसुम देवी हैं. 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर लड़ा था. जेडीयू के खिलाफ हर सीट पर उम्मीदवार उतारे थे जिससे नीतीश कुमार की पार्टी करीब 30 सीटें हार गई. 43 सीटों पर ही जेडीयू सिमट गई थी. चिराग पासवान की पार्टी को करीब 25 लाख वोट मिले थे लेकिन एक ही विधायक पार्टी का जीत पाया था जो बाद में जेडीयू में शामिल हो गया. बाद में एलजेपी में टूट भी हुई और छह में से पांच सांसद अलग हो गए थे.


चिराग के चाचा पशुपति पारस खुद भी सांसद हैं. उनके साथ पार्टी के अन्य चार सांसद अलग हो गए थे. पार्टी में टूट के बाद चुनाव आयोग ने एलजेपी का चुनाव चिह्न बंग्ला फ्रीज कर दिया था. चुनाव आयोग की तरफ से चिराग को एलजेपी रामविलास नाम से पार्टी एवं हेलीकॉप्टर चुनाव चिह्न आवंटित किया गया था. पारस को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नाम से पार्टी का नाम आवंटित किया गया था एवं चुनाव चिह्न सिलाई मशीन आवंटित किया गया था. पारस केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं.


चिराग के प्रचार से किसे होगा नुकसान?


इधर, चिराग पासवान के प्रचार करने से किसे नुकसान होगा और किसका गेम ओवर होगा इसको लेकर सबसे बड़ा सवाल है. गोपालगंज में तो आरजेडी के खिलाफ तेजस्वी यादव की मामी भी मैदान में हैं. वहीं मोकामा की बात करें तो इस सीट पर दोनों तरफ से बाहुबलियों की पत्नी हैं. देखने वाली बात होगी कि इस बार चिराग पासवान के प्रचार से बीजेपी को कितना फायदा या नुकसान होगा.


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