नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने एक बार फिर बीजेपी (BJP) का साथ छोड़ दिया है. इससे पहले वो 2015 में भी बीजेपी का साथ छोड़ चुके हैं.नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार (Bihar) में राष्ट्रीय जनता दल (RJD)  के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में कहा जाता है कि नीतीश कुमार बहुत ही कुशल राजनीतिज्ञ हैं. उनका निशाना वो नहीं होता है, जो सबको नजर आ रहा है, वो कहीं और निशाना लगा रहे होते हैं और अपनी गोटियां चलते हैं. राष्ट्रपति चुनाव के बाद वो अपनी पोजिशन बदल लेते हैं. एक बार फिर वो राष्ट्रपति चुनाव के बाद उन्होंने अपनी राहें बीजेपी से अलग कर ली हैं. आइए जानते हैं कि उनके इस कमद के पीछे उनकी सोच क्आ हो सकती है. 


राष्ट्रपति चुनाव और नीतीश कुमार में क्या संबंध है


नीतीश  ने पिछली बार भी राष्ट्रपति चुनाव के बाद आरजेडी से अपना गठबंधन तोड़ लिया था. उन्होंने फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी.इस बार 
उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के बाद फिर अपना रास्ता बदल लिया है. उन्होंने यह कदम 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से करीब दो साल पहले उठाया है. यह भारतीय राजनीति का ऐसा समय है जब बीजेपी सबसे ताकतवर है. वह एक-एक कर राज्यों में अपनी सरकार बनाती जा रही है. वहीं इस समय विपक्ष बिखरा हुआ है. वो एक नहीं हो पा रहा है. वह राष्ट्रपति के चुनाव में एक होता है तो उपराष्ट्रपति के चुनाव में बिखर जाता है. वहीं देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस अपने अंदरूनी संघर्ष में ही उलझी हुई है.


नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष का नेता कौन?


ऐसे समय में राजनीतिक गलियारे में यह यक्ष प्रश्न की तरह है कि नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष का चेहरा कौन होगा. इसका जवाब किसी भी दल के पास नहीं है. विपक्ष के चेहरे पर दावा तो सब करते हैं, लेकिन उस पर कोई सहमत नहीं हो पाता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार इस खाली जगह को भर सकते हैं. विपक्ष में उनके नाम पर सहमति भी बन सकती है. नीतीश कुमार का अबतक का राजनीतिक सफर बेदाग रहा है. उन्होंने बिहार में विकास की राजनीति की है और उन्हें विकास पुरुष के नाम से जाना भी जाता है.उन पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप भी नहीं लगा है. 


नीतीश कुमार की इच्छा क्या है


नीतीश ने कभी खुलकर प्रधानमंत्री बनने की मंशा तो नहीं जताई, लेकिन उनकी पार्टी के नेता और उनके समर्थक उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए बेहतर कैंडिडेट बताते रहे हैं. जदयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने पिछले साल अगस्त में कहा था नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने की पूरी काबिलियत है.जदयू की राष्‍ट्रीय परिषद ने इसको लेकर एक प्रस्‍ताव भी पास किया है,लेकिन उनके नेता प्रधानमंत्री पद की दावेदारी नहीं करने जा रहे हैं. उनका कहना था कि बहुत से पार्टियों को नीतीश कुमार स्वीकार्य नहीं हैं. 


नीतीश कुमार का विपक्ष से संबंध


यह भी खबरें हैं कि नीतीश कुमार ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से पिछले 15 दिनों में तीन बार बात कर चुके हैं. हालांकि अभी यह साफ नहीं हुआ है कि दोनों नेताओं के बीच क्या बात हुई. लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश प्रधानमंत्री पद पर अपनी दावेदारी से पहले बड़े नेताओं का मन टटोल रहे हैं. उनके ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं से भी अच्छे संबंध बताए जाते हैं. ये नेता भी राष्ट्रीय राजनीति पर छाने के लिए बेचैन हैं. लेकिन यह आने वाला समय ही बताएगा कि नीतीश की दबी हुई यह इच्छा बाहर आती है या नहीं. 


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