पटनाः बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले इसको लेकर लगातार मांग होती रही है. हाल ही में नीति आयोग की रिपोर्ट भी आई है जिसमें बिहार को फिसड्डी दिखाया गया है. इस रिपोर्ट के बाद शुरू से ही विपक्ष सरकार पर हमलावर है. इसको लेकर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) ने रविवार को बयान दिया कि नीति आयोग (Niti Aayog Report) की रिपोर्ट से बिहार के विशेष राज्य के दर्जे का कोई लेना-देना नहीं है. अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना है तो ये केंद्र को फैसला लेना होगा. विशेष राज्य का दर्जा हमारा राज्य हित है. इस दौरान सहयोगी दल बीजेपी को लेकर भी उनके बयान में नाराजगी दिखी.
ललन सिंह ने कहा कि बीजेपी सहयोगी है पर सहयोगी का मतलब ये नहीं होता है कि हम अपना हित छोड़ दें, ये राज्य के हित में है तो हम ये मांग क्यों छोड़ दें? जहां तक बीजेपी की बात है तो उनकी अपनी सोच है वो राष्ट्रीय पार्टी है. उन्हें लगता है कि अगर ऐसा है तो है, हम तो कह रहे हैं जबतक बिहार आगे नहीं बढ़ेगा देश आगे नहीं बढ़ेगा. बिना बिहार के विकसित हुए बिना आप देश की विकसित होने की कल्पना नहीं कर सकते.
ललन सिंह ने कहा कि जहां तक बिहार के विशेष दर्जे का सवाल है ये हमलोगों की बहुत पुरानी मांग है. विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया था. उसमें बीजेपी भी शामिल थी. मनमोहन सिंह की सरकार ने रघुराम राजन नाम की कमेटी बनाई. उस कमेटी ने बिहार को पिछड़ा राज्य स्वीकार किया, लेकिन उस समय की सरकार ने कुछ नहीं किया. नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार को पिछड़ा करार दिया गया तो जब पिछड़ा राज्य है और उसे विकसित राज्य के रूप में आपको परिणत करना है तो आपको उसे विशेष राज्य का दर्जा देना होगा.
नीति आयोग की रिपोर्ट पर जताया विरोध
नीति आयोग ने जो पिछड़ेपन का मूल्यांकन किया है उसपर हमारा विरोध है. वो इसलिए क्योंकि आप मूल्यांकन को एक डंडे से देश के सभी राज्यों को नहीं माप सकते. उसी डंडे से विकसित और विकासशील राज्य दोनों को अगर मापते हैं तो ये होगा ही, अगर आप बिहार की तुलना 2005 से करें कि उस समय बिहार में क्या इंफ्रास्ट्रक्चर था और 2021 में क्या इंफ्रास्ट्रक्चर है, 2005 में बिहार कहां खड़ा था और 2021 में कहां खड़ा है, 2005 में स्वास्थ्य के क्षेत्र में यहां क्या आधारभूत संरचना था और आज क्या है, शिक्षा या हर क्षेत्र में अगर आप 2005 से तुलना करेंगे और उसके बाद मूल्यांकन करेंगे तो आपको दिखेगा कि बिहार कहां पहुंच गया है.
ललन सिंह ने कहा- “अभी चर्चा हो रही है कि 14वें वित्त आयोग में कितना पैसा मिला, 15वें वित्त आयोग में कितना पैसा मिला, तो जो वित्त आयोग का पैसा मिलता है बिहार को वो कोई विशेष नहीं मिलता है. वित्त आयोग के पैसे में जो राज्य की हिस्सेदारी है उसका एक फॉर्मूला तय है और उस फॉर्मूला पर बिहार और अन्य राज्यों को भी पैसा मिल रहा है. जिसका जो हिस्सा है उन्हें मिल रहा है. इसमें बिहार को कुछ विशेष नहीं मिल रहा. कोई अगर कह रहा है कि विशेष दे दिया गया तो ऐसा नहीं है.”
जातीय जनगणना पर क्या बोले ललन सिंह?
वहीं, जातीय जनगणना को लेकर ललन सिंह ने कहा कि इसके पक्ष में वो क्यों नहीं हैं, उन्होंने इसका तर्क आजतक नहीं दिया. हमलोग सभी सांसदों के साथ देश के गृहमंत्री अमित शाह से मिले थे. मुख्यमंत्री ने बिहार के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ देश के प्रधानमंत्री से मुलाकात की जिसमें बीजेपी भी शामिल थी पर उन्होंने आज तक निर्णय नहीं लिया. 1931 में देश में जातीय जनगणना हुई और उसके बाद से आजतक ये पता ही नहीं है कि कितने लोग किस जाति के हैं. ये जानना जरूरी है कि किस समुदाय की कितनी आबादी है. क्योंकि जब कोई आप नीति बनाते हैं तो जबतक पिछड़ों को आगे नहीं बढ़ाएंगे तब तक स्वस्थ समाज की कल्पना आप नहीं कर सकते हैं.
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