पटनाः बिहार विधानसभा के स्पीकर विजय कुमार सिन्हा (Speaker Vijay Kumar Sinha) और नीतीश सरकार (Nitish Government) फिर आमने सामने हैं. कुछ दिनों पहले सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और विजय कुमार सिन्हा में कानून व्यवस्था को लेकर बहस हुई थी वो सबको याद है. एक बार फिर विजय कुमार सिन्हा के एक निर्णय से जेडीयू नाराज दिख रही है. आइए बताते हैं कि आखिर क्या है पूरा मामला.
बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में सदन में स्पीकर ने एलान किया था कि सभी विधायकों के लिए उनके प्रखंड कार्यालय और जिला समाहरणालय में बैठने के लिए कार्यालय के रूप में कमरा उपलब्ध कराया जाएगा. विधानसभा में हुई कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया है. स्पीकर ने कहा कि जनता की समस्याओं को विधायक दूर कर सकें उसके लिया निर्णय लिया गया है. प्रखंड कार्यालय और जिला समाहरणालय में कार्यालय खोलने से क्षेत्र की जनता की समस्याओं का निपटारा आसानी से हो पाएगा. जिला समाहरणालय में कार्यालय होने से एक लाभ यह भी होगा कि डीएम और विधायकों के बीच संबंध और संवाद सीधा स्थापित होगा जिसका लाभ जनता को होगा.
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समिति की बैठक में लिया गया था निर्णय
बता दें कि कार्यमंत्रणा समिति में संसदीय कार्य मंत्री, विभिन्न मंत्री और विधायक रहते हैं. इस समिति के चेयरमैन स्पीकर हैं. इसमें जो भी निर्णय लिया जाता है वह सर्वसम्मति से लिया जाता है. ऐसे में जब समिति की बैठक में इस विषय पर निर्णय लिया गया था तब किसी ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई, लेकिन अब इस फैसले के साइड इफेक्ट दिखने लगे हैं.
सरकार को लेना है फैसला
दरअसल, कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में जो फैसला होता है उसको सदन में स्पीकर द्वारा पढ़ा जाता है. सदन की सहमति के बाद उसको लेटर के रूप में मॉडिफाई किया जाता है. इस फैसले को लेकर यह सब हो चुका है. अब सरकार को निर्णय लेना है कि यह लागू होगा या नहीं.
जेडीयू ने क्या कहा?
इस समिति की बैठक में संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी थे. जेडीयू के वरिष्ठ नेता हैं. उनसे जब पूछा गया कि स्पीकर ने जो फैसला लिया क्या वह सरकार लागू करेगी? इसपर विजय कुमार चौधरी भड़क गए. कहा कि स्पीकर ने फैसला नहीं लिया है. सुझाव दिया है. अब बिहार सरकार देखेगी कि लागू करना है या नहीं. उधर, जेडीयू विधायक संजीव सिंह ने कहा कि स्पीकर ने जो फैसला लिया है वह सरकार लागू करेगी या नहीं यह तो नहीं पता. जमीन पर यह फैसला कितना सफल होगा यह कहना मुश्किल है.
विजय चौधरी के जवाब से सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार इस कार्यवाही को लागू नहीं करेगी? क्या स्पीकर की तरफ से यह प्रक्रिया इस तरह से सदन के अंदर लाना कहीं सरकार से टकराव की ओर तो नहीं ले जा रहा या फिर सरकार के कार्यक्षेत्र में अतिक्रमण तो नहीं है?
स्पीकर ने लिया सही फैसलाः बीजेपी
इधर, बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने कहा कि स्पीकर ने बहुत सही फैसला लिया है. विधायकों के लिए उनके प्रखंड कार्यालय और जिला समाहरणालय में बैठने के लिए कार्यालय के रूप में कमरा उपलब्ध कराने का निर्णय बिल्कुल सही है. जनता को लाभ होगा. उनकी समस्याओं का निपटारा आसानी से होगा.
आरजेडी ने भी किया इसका स्वागत
आरजेडी विधायक रामानुज प्रसाद ने कहा कि स्पीकर के फैसले का हम लोग स्वागत करते हैं, लेकिन नीतीश सरकार इस फैसले को नहीं मानेगी. जेडीयू स्पीकर को सहयोग नहीं करती न उनकी सुनती है. स्पीकर के इस फैसले से नाराज होकर ही अगले दिन सदन में जेडीयू का कोई विधायक नहीं आया था. आपको बता दें कि 28 जून को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा था कि दोपहर दो बजे से सदन की कार्यवाही का विपक्षी दल बहिष्कार करेंगे. सदन में नहीं जाएंगे क्योंकि स्पीकर अग्निपथ पर चर्चा नहीं करा रहे. उस दिन चौंकाने वाली घटना तब हुई जब दो बजे विधानसभा में विपक्षी दल के साथ साथ जेडीयू का भी कोई विधायक नहीं आया. सबको यही लगा की जेडीयू भी अग्निपथ पर चर्चा चाहती है, लेकिन रामानुज प्रसाद ने दावा किया कि स्पीकर ने कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में जो फैसला लिया उससे जेडीयू विधायक नाराज थे और सदन में नहीं आए.
कांग्रेस ने भी दिया विजय सिन्हा का साथ
कांग्रेस विधायक विजय शंकर दुबे ने कहा कि स्पीकर का फैसला अच्छा है. जनता की समस्याओं को सुनने और उसका समाधान निकालने में विधायकों को आसानी होगी. प्रखंड कार्यालय और जिला समाहरणालय में कमरा हम लोग को मिलना चाहिए. जनता से हम लोग सीधे जुड़े रहेंगे. सरकार को इसको लागू करना चाहिए.
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