(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bihar Politics: 'ये लोग खरीद फरोख्त पर विश्वास करते हैं', पार्टी को दुकान बताए जाने पर ललन सिंह को मांझी ने दिया जवाब
Santosh Manjhi Resign: जीतन राम मांझी ने कहा कि दुकान नहीं हमारी पार्टी है. हम लोगों ने निर्णय लिया है कि किसी भी पार्टी के साथ मर्ज नहीं करेंगे. स्वतंत्र होकर काम करेंगे.
पटना: जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) के दुकान वाले बयान पर बुधवार (14 जून) को जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने जवाब दिया. मांझी ने कहा कि वह ललन सिंह का हम सम्मान करते हैं. ललन सिंह का जो भी इरादा रहा हो यह कहने का मुझे इससे मतलब नहीं है, लेकिन सभी लोग जानते हैं दुकान का मतलब होता है जहां खरीद फरोख्त होती है. ये लोग इसी पर विश्वास करते हैं और यही किया भी है. हम लोगों ने कभी खरीद फरोख्त नहीं की. हमारी पार्टी दुकान नहीं रही है.
जीतन राम मांझी ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री रहते हुए जनता के हित में 34 निर्णय लिए थे. उसको पूरा करने के लिए हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर का निर्माण किया. इसे पूरा करने के लिए हम काम कर रहे हैं. इसी के लिए हमने नीतीश कुमार को समर्थन किया था, लेकिन अब पानी नाक से ऊपर चढ़ गया है. हमारा जो भी निर्णय था उसे तोड़-मरोड़ के नीतीश कुमार ने कुछ काम किया और कुछ नहीं किया. इसके लिए जनता को जवाब हमको देना पड़ रहा था.
'हमलोग किसी पार्टी के साथ नहीं करेंगे मर्ज'
आगे मांझी ने कहा कि हमारे कार्यकर्ता, हमारे कोर कमेटी के नेता, सबने कहा कि अब आपको नीतीश कुमार के साथ नहीं रहना है. खास कर पार्टी के मर्ज करने की जो बात आई उसमें सबका प्रस्ताव आया कि हम नहीं करेंगे. इसके बाद संतोष मांझी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. हमलोगों ने निर्णय लिया है कि किसी भी पार्टी के साथ मर्ज नहीं करेंगे. हम लोग स्वतंत्र होकर काम करेंगे चाहे चुनाव का मामला हो या संघर्ष का मामला हो.
महागठबंधन के रहने की बात पर जीतन राम मांझी ने कहा कि हमने सब दिन कहा है कि हम महागठबंधन में नहीं हैं, हम नीतीश कुमार के साथ हैं. अब जब नीतीश कुमार के साथ नहीं हैं तो फिर महागठबंधन की बात कहां से आती है. कोई यह बात कहता है तो बिल्कुल गलत कहता है. बीजेपी से गठबंधन की बात पर उन्होंने कहा कि यह सब गर्त की बात है. 23 जून के बाद देखिएगा.
मांझी बोले- छह महीना और रह सकता था सीएम
मांझी ने कहा कि 9 महीना मुख्यमंत्री रहने के बाद हमें बेवजह हटाया गया. जो बैठक हमें करनी चाहिए थी और जो समय दिया गया था उससे दो दिन पहले नीतीश कुमार ने वह बैठक करवा दी. शरद यादव को आगे करके हमसे इस्तीफा ले लिया गया. हम त्याग पत्र लेकर राज्यपाल के पास गए थे, लेकिन मेरे जेब में उस वक्त एक और लेटर था कि विधानसभा को भंग करवा दूं, लेकिन मैं राज्यपाल के पास जाकर ऐसा नहीं कर सका और इस्तीफा दे दिया. अगर मैं विधानसभा भंग करवाता तो छह महीने तो मुझे कार्यवाहक के रूप में मुख्यमंत्री से कोई नहीं हटा सकता था. मैं छह महीना और मुख्यमंत्री रह सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया.