पटना: 17वीं बिहार विधानसभा को अपना नया स्पीकर मिल चुका है. तमाम विरोधों के बाद भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष चुन लिया गया है. विजय कुमार सिन्हा की पक्ष में 126 वोट पड़े जिसके बाद प्रोटेम स्पीकर ने उनके विजयी होने की घोषणा की और उन्हें अध्यक्ष पद से नवाजा.


बता दें कि भूमिहार जाति से आने वाले विजय कुमार सिन्हा पिछली सरकार में सिन्हा श्रम संसाधन मंत्री थे. इस बार लखीसराय से तीसरी बार लगातार विधायक चुने गए हैं और भाजपा के खाटी कार्यकर्ता हैं. मालूम हो कि इससे पहले विधानसभा स्पीकर की पद के लिए पूर्व पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव का नाम तय माना जा रहा था, लेकिन अंतिम समय में पार्टी ने फैसला बदल दिया. इस पद के लिए विजय सिन्हा के नाम पहले पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र का नाम भी काफी चर्चा में रहा है.


पूर्व मंत्री विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा स्पीकर बनाए जाने के बाद ऐसी चर्चा है कि बीजेपी ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है. बीजेपी ने दो डिप्टी सीएम बनाए थे और दोनों ही पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति से हैं. ऐसे में सवर्ण नाराज़ न हो जाएं इसे देखते हुए विजय सिन्हा को स्पीकर बनाना तय किया गया था.


ऐसे में देखा जाए तो अब बिहार के सीएम, सभापति और स्पीकर सभी इंजीनियर है. मालूम हो कि बिहार के सीएम पेशे से इंजीनियर हैं. बिहार के विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह भी पेशे से इंजीनियर जबकि विधानसभा में स्पीकर बनने वाले विजय कुमार सिन्हा भी राजनीति में आने से पहले पेशे से इंजीनियर थे. संयोग यह है कि सभापति अवधेश नारायण सिंह की कंपनी आशियाना बिल्डर्स में विजय सिन्हा ने कुछ साल तक बतौर इंजीनियर काम भी किया था. लेकिन उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और वो राजनीति में आ गए और पार्टी के अलग-अलग पदों की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए वो आज अध्यक्ष पद तक जा पहुंचे हैं.


बता दें कि 5 जून 1967 को जन्मे विजय कुमार सिन्हा के पिता स्व. शारदा रमण सिंह पटना के बाढ़ स्थित बेढ़ना के हाई स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक थे. उनकी मां का नाम स्व. सुरमा देवी है. पैत्रिक निवास मोकामा के बादपुर में रहा है. सिन्हा की ने बेगूसराय के राजकीय पॉलिटक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की डिग्री हासिल की है. इनकी शादी सुशीला सिन्हा से वर्ष 1986 में हुई थी.


विजय सिन्हा के बारे में इनके जानने वाले बताते हैं कि इनकी रुचि सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक कार्यों में शुरू से रही है. बचपन में ही यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से स्वयंसेवक के रूप में जुड़े थे. मात्र 13 वर्ष की उम्र में बाढ़ में आयोजित बीजेपी के कार्यक्रम में पारिवारिक भागीदारी में सहयोग किया था. 15 वर्ष की उम्र में बाढ़ के दुर्गापूजा समिति के सचिव के रूप में चुने गए. यहां से जब इनके भीतर संगठन में नेतृत्व क्षमता पनपने लगी तो बाढ़ के ही एएन कॉलेज में पढ़ते हुए 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की छात्र राजनीति में यह सक्रिय हो गए. इसी का नतीजा हुआ कि पॉलिटेक्निक कॉलेज में पढ़ते हुए 1985 में राजकीय पॉलिटेक्निक मुजफ्फरपुर छात्र संघ का का अध्यक्ष बने. 1990 में सिन्हा को राजेन्द्र नगर मंडल पटना महानगर भाजपा में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेवारी मिली. वर्ष 2000 में सिन्हा को प्रदेश संगठन प्रभारी, भारतीय जनता युवा मोर्चा बिहार-सह-चुनाव प्रभारी भाजपा सूर्यगढ़ा वि.स. जिला लखीसराय की जिम्मेवारी दी गई. 2002 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, बिहार के प्रदेश सचिव बनाए गए.