पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) जहां देश के विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए दिल्ली के दौरे पर हैं, वहीं उनके सहयोगी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के संरक्षक जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) गुरुवार (13 अप्रैल) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मिलने दिल्ली पहुंच गए हैं. इस होने वाली मुलाकात को लेकर बिहार के सियासी गलियारे में भले ही चर्चा कुछ भी हो लेकिन जीतन राम मांझी के कार्यालय ने दावा किया है कि बैठक का मकसद राजनीतिक नहीं है.
बताया जा रहा है कि जीतन राम मांझी माउंटेन मैन दशरथ मांझी, बिहार के पहले सीएम श्रीकृष्ण सिंह और कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग को लेकर अमित शाह से मिलने दिल्ली गए हैं. जीतन राम मांझी गया से एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली गए. पीएमओ ने उन्हें अमित शाह से मिलने के लिए कहा था. चूंकि अमित शाह उस समय पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर थे, जिसके बाद मांझी प्रतिनिधिमंडल के साथ पटना लौट आए. प्रधानमंत्री से मिलने के लिए पहले जीतन राम मांझी की तरह 22 लोगों का प्रतिनिधिमंडल गया से दिल्ली तक पहुंचा था.
अमित शाह के कार्यालय ने किया आमंत्रित
जीतन राम मांझी को बिहार में नीतीश कुमार का सबसे करीबी सहयोगी बताया जाता है. नीतीश कुमार ने बुधवार (12 अप्रैल) को कांग्रेस के शीर्ष नेताओं राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की. सूत्रों ने कहा कि अमित शाह के कार्यालय ने जीतन राम मांझी को मिलने के लिए आमंत्रित किया था.
बीजेपी बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की ताकत को चुनौती देने के लिए मजबूत गठबंधन सहयोगी चाहती है और अगर जीतन राम मांझी महागठबंधन से एनडीए की ओर जाते हैं, तो यह नीतीश कुमार के विपक्षी एकता आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका होगा.
जीतन राम मांझी ने हालांकि कई मौकों पर दावा किया कि वह अपने जीवन में नीतीश कुमार का साथ नहीं छोड़ेंगे. नीतीश कुमार ने उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था और मांझी इसे नहीं भूल सकते.
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