पटना: बिहार में साल 1990 से लेकर 2005 तक लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सरकार में 'भैंस' की राजनीति बहुत होती थी. लालू प्रसाद यादव जनता के बीच अपनी सभा में भैंस की सवारी करने और भैंस का दूध दुहने की बात कर जनता को लुभाते थे. जनता भी उनकी बातों का खूब आनंद लेती थी. साल 2005 लालू यादव की भैंस पीछे हो गई नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सत्ता में आ गए और अभी तक वे मुख्यमंत्री बने हुए हैं. लेकिन अभी नीतीश कुमार 8 महीने से आरजेडी के साथ हैं तो बिहार में एक बार फिर भैंस की राजनीति शुरू हो गई है. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा ''जो भैंस डूब चुकी है. उस पर नीतीश सवारी कर रहे हैं तो अब तो वह भी डूब जाएंगे.'' 


आरजेडी ने कहा -उपेंद्र कुशवाहा के नाव का डूबना तय 


राजनीति में एक बार फिर भैंस का नाम आने पर आरजेडी बौखला गई है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जिन्होंने अपनी नाव ही पानी में डूबा लिए हो वह पहले अपनी चिंता करें, उपेंद्र कुशवाहा जिस नाव पर सवारी कर रहे हैं उस नाव का डूबना तय है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बिहार की 12 करोड़ जनता है और जनता ही उनकी पतवार है .


जेडीयू ने कहा- आप तो सिर्फ अपनी चिंता करते हैं लेकिन अभी तो आप वेटिंग लिस्ट में भी नहीं


उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर तिलमिलाते हुए जेडीयू ने उपेंद्र कुशवाहा पर कड़ा हमला किया. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार जनता के लिए समर्पित हैं. इसका एक ही पैमाना है कि सात निश्चय गांव के खेत खलियान में दिखाई पड़ता है.


बिहार के वंचित तबके में और समाज के हर तबके में इसका असर है. लेकिन आप तो राजनीति के उस तबके के महारथी हैं जिनको सिर्फ अपनी चिंता होती है. उन्होंने कहा कि आपको अपने लिए जीने की राजनीति का संस्कार है तो स्वाभाविक है आप तो ऐसी राजनीति सवारी किए हैं जिसका 2024 में डूबना तय है और आप तो उसके अंतिम सवारी हैं, आप तो वेटिंग लिस्ट में हैं,अभी आरएसी भी नहीं हुआ है.


 क्या कहा उपेंद्र कुशवाहा ने?


दरअसल उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी के गठबंधन पर कहा था ''1990 में जब लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने थे तो किस तरह जनता को बीच में सीना चौड़ा करके कहते थे कि हम भैंस पर चढ़ के यहां तक आ गइल बानी. लालू यादव ने खुद ही आरजेडी के प्रतीक के रूप में उसको प्रस्तुत किया. नीतीश कुमार भी आरजेडी के साथ जाकर उसी तरह से बिहार को ले जाना चाह रहे हैं जो 2005 के पहले था. इसलिए हमने कहा कि नीतीश कुमार, अब उस पर सवार हो गए हैं और जब वह सवार हो गए हैं तो वह तो पहले से ही पानी में डूबी हुई भैंस है और नीतीश कुमार खुद ही उस पर सवार हो गए हैं तो इसलिए हमने कहा कि भैंस पानी में गई हुई है और नीतीश कुमार उस पर सवार होकर डूबने के लिए बेताब हैं.'' 


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