पटनाः 2005 से लेकर 2020 तक बिहार सरकार (Bihar Government) में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहे तब कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा. वैसे भ्रष्टाचार के आरोप पर जीतन राम मांझी समेत करीब छह मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया गया या बर्खास्त कर दिया गया. इस बार महागठबंधन की नई सरकार में कई मंत्रियों पर आरोप के बावजूद प्रदेश के मुखिया सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) शांत हैं. अब तो बीजेपी की ओर से यह सवाल किया जाने लगा है कि आखिर कौन सी मजबूरी है नीतीश कुमार के सामने वो बिहार की जनता जानना चाहती है. ना नीतीश कुमार इस्तीफा देते हैं ना इस्तीफा ले रहे हैं.


बीजेपी नेता और पूर्व सांसद जनक चमार ने कहा कि नीतीश कुमार सुशासन की सरकार के नाम से जाने जाते थे लेकिन तब जब एनडीए की सरकार थी. अब तो वो महागठबंधन का हिस्सा बन चुके हैं. महागठबंधन में जाने के बाद चाल चरित्र में बदलाव हो गया है, जिसके लिए वो जाने जाते थे उसमें दाग लग चुका है. उनके भ्रष्ट मंत्रियों और दागदार मंत्रियों की सूची मिल गई है, लेकिन चार दिन के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है. यही मुख्यमंत्री जब एनडीए के हिस्सा थे तब मेवा लाल चौधरी, जीतन राम मांझी, रामाधार सिंह के लिए आप घंटों में निर्णय लेते थे. त्यागपत्र लेते थे, लेकिन आज कौन सी मजबूरी है? बिहार की जनता जानना चाहती है. ना आप इस्तीफा देते हैं ना इस्तीफा ले रहे हैं.


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आरजेडी की ओर से चलाया जा रहा प्रोपेगेंडा


आरजेडी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि सत्ता जाने के बाद बीजेपी हाय तौबा मचा रही है. किसी पर आरोप लग जाने से दोषी नहीं हो जाता है. जिस तरह से प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है यह ठीक नहीं है. राजनीति में आरोप लगते रहे हैं हैं. बीजेपी शासित राज्यों में उनके कितने लोग दागी हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल में 44 फीसद लोग दागी हैं.


मांझी की पार्टी ने क्या कहा?


हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि जीतन राम मांझी पर जैसे ही आरोप लगा उन्होंने अविलंब मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. मैंने पहले भी कहा कि 2014 ना केवल देश में बल्कि सूबे की राजनीति में भी बदलाव हुआ है. जो केंद्र में गृह मंत्री हैं उन पर दर्जनों से ज्यादा मामले दर्ज रहे हैं. प्रधानमंत्री पर मामले दर्ज रहे हैं. यूपी के सीएम पर हत्या, अपहरण हर तरीके का मामला है. मुझे लगता है कि राजनीतिक जीवन में जिस तरीके से मुकदमे हो रहे हैं उससे कोई बचा नहीं है.


जेडीयू ने किया हमला


जेडीयू नेता राजीव रंजन ने कहा कि हाय तौबा मचाने वालों से मैं पूछना चाहूंगा कि केवल वो आरोप प्रत्यारोप करेंगे या हमलोगों के सवालों का भी जवाब देंगे. बड़ा सवाल ये है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में 43 फीसद मंत्री दागी हैं. कुल 24 मंत्रियों पर गंभीर मामले दर्ज हैं. देश के गृह राज्य मंत्री, विदेश राज्य मंत्री, वित्त राज्य मंत्री समेत कुल 33 लोगों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. ये कौन से लोग हैं जो सवाल पूछते हैं?  


किसने कब दिया इस्तीफा एक नजर में देखें



  • 2005 – जीतन राम मांझी - 25 नवंबर 2005 (मात्र 24 घंटे के अंदर)

  • 2008 – आरएन सिंह – परिवहन मंत्री – 17 मई 2008

  • 2011 – रामाधार सिंह – सहकारिता मंत्री – 19 मई 2011

  • 2015 – अवधेश कुशवाहा – निबंधन उत्पाद मंत्री – 11 अक्टूबर 2015

  • 2018 – मंजू वर्मा – समाज कल्याण मंत्री – 08 अगस्त 2018

  • 2020 – मेवा लाल चौधरी – शिक्षा मंत्री – 19 नवंबर 2020


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