पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) गुरुवार को सचिवालय स्थित 'संवाद' में उर्दू अनुवादक और अन्य उर्दू कर्मियों के नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने फिर से बिहार को लिए विशेष राज्य का दर्जा मिलने की बात छेड़ी. कार्यक्रम के दौरान नीतीश ने कहा कि हम लोग पिछड़े राज्य में हैं, गरीब राज्य में है. हम लोगों को मदद मिलनी चाहिए थी जो कि मिली नहीं. अगर विशेष राज्य का दर्जा मिल गया होता तो आज बिहार कितना आगे बढ़ जाता. सभी लोग झूठे प्रचार में लगे रहते और गरीब राज्यों में होता कुछ नहीं है.


लोग झूठे प्रचार प्रसार में लगे रहते गरीब राज्यों में कुछ नहीं हो रहा


मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी अति पिछड़े राज्यों को दर्जा मिलना चाहिए लेकिन, नहीं दिया जाता है. कहा कि हम लोग राज्य को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे. जितना हो रहा उतनी कोशिश कर रहे. आगे सीएम बोले कि आजकल तो केवल प्रचार प्रसार चल रहा. सभी लोग झूठे प्रचार प्रसार में लगे रहते हैं. कहीं कुछ हो रहा है क्या? गरीब गुरबत राज्यों में कहीं कुछ हो रहा है? कुछ होता नहीं है, लेकिन प्रचार प्रसार पूरा होते रहता है.


काम के बारे में आपस में ट्वीट करते रहते हैं सब


सीएम ने कहा कि मीटिंग में हम सब कार्यों की चर्चा करते रहते हैं. आजकल मोबाइल का जमाना है. ट्वीट करते रहते हैं. हम बोल देते हैं सबको ताकि आपस में नोट कर लें. आपस में ट्वीट करते रहें और एक दूसरे को बताते रहें कि क्या काम हो रहा है. उन्होंने कहा कि बाकी सब जो प्रचार होता था वो अब होगा नहीं तो हम इन सब चीजों के जरिए काम के बारे में बताते रहते.


1294 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कुल 183 उर्दू अनुवादक एवं अन्य उर्दू कर्मियों को नियुक्ति पत्र वितरित किया गया है जिसमें उर्दू अनुवादक, सहायक उर्दू अनुवादक, निम्नवर्गीय उर्दू लिपिक और निम्नवर्गीय हिंदी लिपिक शामिल हैं. मैं सभी चयनित लोगों को बधाई देता हूं. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जब इस बात की समीक्षा की कि कितने पद सृजित हैं और कितने पर बहाली हुई है तो जानकारी मिली कि कुल स्वीकृत पद 2247 हैं जिसमें 1294 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है.


उन्होंने कहा कि सभी स्वीकृत पदों पर जल्द ही बहाली होगी सभी व्यक्तियों को हिंदी और उर्दू के प्रयोग का अधिकार है. जैसे हिंदी है वैसे ही उर्दू है, दोनों को बराबर की स्वीकृति प्राप्त है. सरकार हिंदी के साथ-साथ उर्दू को बढ़ावा दे रही है. लोग हिंदी के साथ उर्दू जानेंगे तो उनका ज्ञान बढ़ेगा. आप सभी जो नियुक्त हुए हैं अपनी जिम्मेवारी का बेहतर ढंग से निर्वहन करें और जहां रहें वहां लोगों को उर्दू भी सिखाएं. हिंदी के साथ उर्दू जानेंगे तो आपकी भाषा और बेहतर होगी.


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