पटनाः सम्राट अशोक के बाद बिहार विधानसभा भवन के सौ वर्ष पूरे होने की याद में बनाए जा रहे शताब्दी स्तंभ को लेकर बिहार में राजनीति होने लगी है. तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने स्वास्तिक चिह्न पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि बिहार से अशोक स्तंभ को प्रतीक के रूप में हटाने की साजिश हो रही है. इधर, राज्यसभा के सदस्य और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि जिनके पास जनहित के मुद्दे नहीं हैं वे विरोध करते हैं.
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि स्वास्तिक शुभ चिह्न हमारी हजारों वर्ष पुरानी वैदिक सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा है, इसलिए इस पर राजनीति करना अनावश्यक और दुर्भाग्यपूर्ण है. धर्मनिरपेक्षता का अर्थ देश के बड़े वर्ग की आस्था, परंपरा और प्रतीक चिह्न से अनादरपूर्वक दूरी बनाना नहीं होता. हम जब विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर या नारियल फोड़ कर भी करते हैं, तब देश की सांस्कृतिक परंपरा का ही पालन करते हैं, लेकिन फीता काटने की रवायत बंद नहीं की गई है.
किसी को नहीं होनी चाहिए आपत्ति
बिहार विधानसभा के स्मृति चिह्न में अशोक चक्र के साथ स्वास्तिक चिह्न भी रहे, तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. विधानसभा के आधिकारिक लेटरहेड पर भी स्वास्तिक चिह्न का प्रयोग होता है. जिनके पास जनहित के मुद्दे नहीं हैं, वे कभी वंदेमातरम् गायन का विरोध करते हैं तो कभी स्वास्तिक का विरोध करने लगते हैं. इनलोगों को यह भी नहीं मालूम है कि भारत का स्वास्तिक चिह्न हिटलर के चिह्न से बिल्कुल भिन्न है.
सुशील मोदी ने कहा कि सदियों से भारत में शुभ अवसरों पर स्वास्तिक चिह्न बनाए जाते रहे हैं, लेकिन जिनकी समझ अपने मनीषियों के ग्रंथों की उपेक्षा और भारत-विरोधी लेखकों की चंद किताबें पढ़ाने से बनी हो, केवल वे ही स्वास्तिक से दुराग्रह प्रकट कर सकते हैं.
बता दें कि इस स्तंभ पर स्वास्तिक चिह्न के इस्तेमाल को लकेर आरजेडी और कांग्रेस ने सवाल खड़ा किया है. दो दिन पहले ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी प्रतिकृति का लोकार्पण किया था. निर्माण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उद्घाटन कराने की तैयारी की जा रही है.
यह भी पढ़ें- Bihar MLC Election 2022: एमएलसी चुनाव के लिए दो और सीटों पर RJD ने उतारा उम्मीदवार, पूर्णिया पर अब भी फंसा पेंच