Bihar Politics: 'मेरी बातों को लिखकर...', प्रशांत किशोर की बड़ी भविष्यवाणी, बता दिया CM नीतीश कुमार का 'फ्यूचर'
Prashant Kishor Prediction: पीके ने सोमवार को बयान जारी किया है. प्रशांत किशोर ने कहा कि आज नीतीश कुमार क्या कर रहे हैं इस पर ज्यादा बोलने का कोई मतलब नहीं है.
पटना: लोकसभा का 2024 में चुनाव होना है और बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) विपक्षी एकता को एक करने के लिए लगे हैं. वह कई राज्यों के सीएम से मिल चुके हैं. उनकी मानें तो उन्हें विपक्षी नेताओं की ओर से सहमति भी मिल रही है. बहुत जल्द विपक्षी एकता की बैठक भी हो सकती है. इन सबके बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने बड़ी भविष्यवाणी कर दी है. सोमवार (22 मई) को पीके ने बयान जारी किया.
40 दिन में दूसरी बार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से मिलने पर प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार और आरजेडी पर तंज करते हुए कहा कि आज नीतीश कुमार क्या कर रहे हैं इस पर ज्यादा बोलने का कोई मतलब नहीं है. आज से पांच साल पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे चंद्रबाबू नायडू. वो इसी भूमिका में थे जिस भूमिका में आज नीतीश कुमार आने का प्रयास कर रहे हैं. आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू उस समय बहुमत की सरकार चल रहे थे जबकि नीतीश कुमार तो 42 विधायक के साथ आज लंगड़ी सरकार चला रहे हैं.
नीतीश कुमार को करनी चाहिए बिहार की चिंता: पीके
प्रशांत किशोर ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू उस दौर में पूरे देश का दौरा करके विपक्ष को एकजुट कर रहे थे. इसका नतीजा ये हुआ कि आंध्र प्रदेश में उनके सांसद घटकर तीन हो गए, सिर्फ 23 विधायक जीते और वे सत्ता से ही बाहर हो गए. नीतीश कुमार को बिहार की चिंता करनी चाहिए. नीतीश कुमार का खुद का ठिकाना नहीं है. आज आरजेडी का बिहार में जीरो एमपी है वो देश का प्रधानमंत्री तय कर रहा है. जिस पार्टी का खुद का ठिकाना नहीं है वो देश की दूसरी पार्टियों को इकट्ठा कर रहा है.
'मेरी बातों को लिखकर रख लीजिए'
पीके ने अपने बयान में आगे कहा कि नीतीश कुमार पश्चिम बंगाल दौरे पर गए तो ये पूछना चाहिए कि क्या ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ काम करने को तैयार हैं? क्या नीतीश कुमार और लालू टीएमसी को बिहार में एक भी सीट देने को तैयार हैं? आज क्या नीतीश कुमार हमसे ज्यादा ममता बनर्जी को जानते हैं? पश्चिम बंगाल में नीतीश कुमार को पूछता कौन है? आप मेरी बातों को लिखकर रख लीजिए नीतीश कुमार का भी वही हाल होगा जो चंद्रबाबू नायडू का हुआ था.
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