Bihar Politics: ...तो इसलिए नीतीश कुमार को महागठबंधन में होना पड़ा शामिल! प्रशांत किशोर के इस दावे में कितना है दम?
Prashant Kishor Statement: प्रशांत किशोर और सीएम नीतीश कुमार में कई बार बातचीत हुई है. वहीं, सोमवार को गोपालगंज में प्रशांत किशोर ने 2022 में दिल्ली हुई बातचीत को लेकर बयान दिया.
पटना: जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraj Padyatra) के 107वें दिन गोपालगंज के सिधवलिया में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने सोमवार को नीतीश कुमार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) मार्च 2022 में मुझसे दिल्ली में मिले थे और उनसे लंबी बातचीत हुई थी. नीतीश कुमार महागठबंधन में इसलिए शामिल हुए हैं क्योंकि उन्हें कहीं न कहीं डर और विश्वास दोनों था कि 2024 में लोकसभा का चुनाव हो जाएगा और बीजेपी जीत कर आएगी. इसके बाद अगर बीजेपी (BJP) जीत कर आती है तो दिल्ली में शपथ लेने के बाद सबसे पहले बिहार के मुख्यमंत्री को बदलेगी. अगला चुनाव बीजेपी नीतीश कुमार के नेतृत्व में नहीं लड़ती. इस डर के वजह नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ चले गए.
नीतीश कुमार पर साधा निशाना
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार को आरजेडी से कोई प्रेम नहीं है और ये भी नहीं है कि आरजेडी नीतीश कुमार को जानती नहीं है. जहां तक बीजेपी का सवाल है तो नीतीश कुमार हर मायने में दिल्ली में बीजेपी के साथ हैं. नीतीश कुमार का बीजेपी में जाने का रास्ता खुला रहे इस वजह से नीतीश कुमार ने हरिवंश नारायण को राज्यसभा का उपसभापति बना कर एक खिड़की खोल रखी है.
पेट और पीठ में छुरा भी घोपते हैं- प्रशांत किशोर
वहीं, प्रशांत किशोर ने ने आरजेडी और जेडीयू पर तंज कसते हुए कहा कि इन दोनों पार्टियां का जन्म ही एक दूसरे का विरोध करने के लिए हुआ है. विचारधारा के आधार पर, व्यवहार के आधार पर, कार्यक्रमों के आधार पर इनके विचारों का नहीं मिलना स्वभाविक है. सवाल यह होना चाहिए कि इतने विरोधाभास के बावजूद ये दोनों दल कितने दिनों तक साथ में बने रहते हैं? 2015 से मुझे पता है कि इनके बीच कितनी खींचतान और परेशानियां है. इनके नेता कहते रहेंगे की हम भाई-भाई हैं, हमारे बीच कोई गिले-शिकवे नहीं हैं लेकिन ये वही भाई-भाई हैं जो गले भी मिलते हैं और पेट और पीठ में छुरा भी घोपते हैं.
'चुनाव से पहले इनका अलग होना तय है'
आगे चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि जिस दिन यह मौजूदा महागठबंधन बना था, मैंने उस दिन कहा था कि अगला विधानसभा चुनाव आज की गठबंधन व्यवस्था में नहीं होगा. सात दलों के महागठबंधन के साथ सरकार चलाना अलग बात है और सात दलों के साथ महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ना अलग बात है. चुनाव से पहले इनका अलग होना तय है.
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